Ramcharitmanas Row: 'बीजेपी में नहीं करते थे बदजुबानी, सपा के एजेंडे पर...', स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी नेता का पलटवार
Swami Prasad Maurya on Ramcharitmanas: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर कथित विवादित बयान दिया, जिसके बाद यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पलटवार किया है.
Swami Prasad Maurya Controversial Remark Over Ramcharitmanas: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए कथित विवादित बयान को लेकर बीजेपी नेता राकेश त्रिपाठी ने पलटवार किया है. उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने एसपी नेता मौर्य पर बदजुबानी करने, समाजवादी पार्टी का एजेंडा चलाने और तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया है.
बता दें कि रविवार (22 जनवरी) को स्वामी प्रसाद मौर्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया, जिसमें वह रामचरितमानस को लेकर बयान देते हुए और ऐसी पुस्तकों को प्रतिबंधित करने का आह्वान करते हुए दिख रहे हैं. मौर्य यह कहते दिख रहे हैं कि या तो ऐसी पुस्तकों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए या उन चौपाइयों-दोहों को निकाल देने चाहिए जो शूद्रों का अपमान करते हैं.
इसी के साथ वह रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास की आलोचना करते हुए भी दिख रहे हैं. वह यह कहते हुए दिख रहे हैं कि देश के ज्यादातर हिंदू, जिनमें दलित, पिछड़े और आदिवासी शामिल हैं, उनकी चिंता नहीं की जा रही है, केवल पांच फीसदी हिंदुओं की चिंता की जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि रामचरितमानस में दलितों-पिछड़ों और शूद्रों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है.
क्या कहा राकेश त्रिपाठी ने?
बीजेपी नेता राकेश त्रिपाठी ने सपा नेता मौर्य के कथित विवादित बयान पर पलटवार करते हुए कहा, ''स्वामी प्रसाद मौर्या जब तक भारतीय जनता पार्टी में थे तब तक कभी भी उनके मुंह से कोई बदजुबानी नहीं सुनी लेकिन जब से समाजवादी पार्टी के साथ गए तो जानबूझकर समाजवादी पार्टी के एजेंडे के तहत हिंदुओं को अपमानित करने के लिए और तुष्टिकरण करने के लिए आज वो रामचरितमानस का इस तरह से विरोध करने का काम कर रहे हैं.''
त्रिपाठी ने आगे कहा, ''जबकि यह बात सच है कि हर घर-घर में रामचरितमानस गाई जाती है. जनता से (मौर्य) पूरी तरह से कट गए हैं और इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी की आज रामचरितमानस का अपमान करने का प्रयास कर रहे हैं और इसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ेगा. जब भी चुनाव होंगे को जनता अपना जवाब ईवीएम में अपना बटन दबाकर के देगी.''
@SwamiPMaurya के रामचरितमानस वाले बयान पर भाजपा प्रवक्ता @rakeshbjpup की प्रतिक्रिया,त्रिपाठी ने कहा कि"स्वामी प्रसाद मौर्या का बयान समाजवादी पार्टी का एजेंडा तुष्टिकरण और हिंदुओं को अपमानित करने के लिए जानबूझकर रामचरितमानस का कर रहे अपमान जब तक @BJP4UP में थे नहीं करते थे.. pic.twitter.com/hvqj2zIeQs
— The Indian View ( द इंडियन व्यू ) (@TheIndianView2) January 22, 2023
स्वामी प्रसाद मौर्य का कथित विवादित बयान
एक पत्रकार ने स्वामी प्रसाद मौर्य से बाबा बागेश्वर और राम चरितमानस को लेकर सवाल किया था. उनसे जब पूछा गया कि बाबा बागेश्वर रामचरितमानस की शिक्षाएं देते हैं मंचों से? जवाब में सपा ने मौर्य ने कहा, ''इन्हीं की तरह किसी ढोंगी ने उसको भी लिखा होगा. वो पांच-छह सौ साल पहले का लिखा हुआ, बहुत हजार साल पहले का नहीं है और इसी तरीके से वो भी कोई पैदा हो गए, उन्होंने खूब गाली दिया है दलितों को, पिछड़ों को और बड़े-बड़े पैमाने पर गालियां दी हैं. अभी शिक्षा मंत्री बिहार ने उस पर कुछ एक थोड़ी सी टिप्पणी की है, उस पर मैंने भी कई बार टिप्पणी कर दिया है. सरकार के अंदर थोड़ी भी मर्यादा है, नैतिकता है तो ऐसे जातिसूचक गाली देने वाले चौपाई और दोहों को तुलसी की रामायण से निकलवाना चाहिए.''
'ये तुलसी बाबा लिखते हैं?'
स्वामी प्रसाद मौर्य से जब पूछा गया कि क्या वह चौपाई और दोहों को प्रबंधित करने की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ''स्वाभाविक रूप से, यह धर्म निरपेक्ष देश है, किसी को किसी भी धर्म को.. किसी को गाली देने का अधिकार नहीं है. इन्हीं तुलसीदास जी की रामायण में लिखा है कि 'जे बरनाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा', जातिसूचक शब्दों का उपयोग करते हुए अधम जातियों में इनको गिनने का पाप किया है. 'पूजहि विप्र सकल गुण हीना, पूजहि न शूद्र गुण ज्ञान प्रवीणा' (सही चौपाई- 'पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा'), ये कहां का प्रमाणपत्र दे रहे हैं कि कितना भी मूर्ख ब्राह्मण हो, उसका पूजा करिये, कितना भी बड़ा विद्वान क्यों न शूद्र हो उसका सम्मान न करिये, ये तुलसी बाबा लिखते हैं?''
'क्या यही धर्म है?'
अपने जवाब को जारी रखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा, ''यही नहीं, 'ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी', यानी 50 परसेंट आबादी है महिलाओं की, वो महिलाएं किसी वर्ग की हों, सामान्य वर्ग की हों, दलित की हों, पिछड़े की हों, अगड़े की हों, हिंदू की हों, मुसलमान की हों, किसी भी वर्ग की हों, कौन अधिकार दिया मुसलमानों को अपमानित करने के लिए, महिलाओं को अपमानित करने के लिए, किसने अधिकार दिया पिछड़ों को गाली देने के लिए, किसने अधिकार दिया शूद्र कहकर दलितों-पिछड़ों और आदिवासियों को.. इंसान की जिंदगी तो बहुत दूर, जानवर से बदतर जिंदगी जीने के लिए उन्होंने मजबूर किया, क्या यही धर्म है? और कहते हैं.. अगर तुलसीदास की रामायण पर कोई टिप्पणी करता है तो हिंदू भावना आहत होती है.''
'85 फीसदी की चिंता नहीं'
सपा नेता मौर्य ने आगे कहा, ''54 फीसदी पिछड़े हैं, क्या वो हिंदू नहीं है, क्या उनकी भावना आहत नहीं होती, पिछड़ों को आप गाली देते हो, उनकी भावना नहीं पीड़ित होती क्या? 23 फीसदी 24 फीसदी दलित हैं, क्या वो हिंदू नहीं हैं क्या? अगर हिंदू हैं तो गाली देने से उनकी भावना आहत नहीं होती क्या? इस तरीके से पांच फीसदी हिंदुओं की इनको बड़ी चिंता है, 80 फीसदी हिंदू जो यहां पर आदिवासी, दलित और पिछड़े हैं.. 85 फीसदी.. उनकी चिंता इनको नहीं है? वो हिंदू नहीं हैं? अगर वो भी हिंदू हैं तो उनकी भावनाएं गाली से आहत नहीं हो रही हैं? तो स्वाभाविक रूप से ये बहुत लंबी बहस की बात है, आज हम विज्ञान के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और ये आज से हजारों साल पहले के दकियानूसी विचार लाकर के लोगों पर ढोंग और पाखंड लादने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रतिबंध लगाने के सवाल पर मौर्य ने यह कहा
'क्या इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए' के सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ''स्वाभाविक रूप से ऐसे जहरीले साहित्य जो धर्म के नाम पर लोगों पर जाने-अनजाने थोपे गए हैं, इन पुस्तकों को प्रतिबंध लगाना चाहिए, अगर पुस्तक प्रतिबंधित नहीं होती है तो वो अंश जिसमें शूद्र कहकर आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को गालियां दी गई हैं, उस अंश को बाहर कर देना चाहिए.''
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