Kiren Rijiju: कांग्रेस पर आक्रमक हुए बीजेपी नेता किरेन रिजिजू, कहा- 'नेहरू की गलतियों की कीमत अब भी चुका रहा है भारत'
Rijiju: बता दें कि कांग्रेस ने मंगलवार को कश्मीर मुद्दे पर नेहरू की आलोचना को लेकर मोदी पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि उन्होंने एक बार फिर तथ्यों की अनदेखी की है. इसके बाद अब रिजिजू आगे आए हैं.
BJP Again Attack Nehru: जवाहरलाल नेहरू को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. इस जुबानी जंग में अब कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी कूद गए हैं. उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत अब भी ‘नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है.’ रिजिजू ने यह बातें कश्मीर मुद्दे पर जवाहरलाल नेहरू पर परोक्ष रूप से हमले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना किए जाने पर कहीं. उन्होंने कांग्रेस पर बुधवार को कई पलटवार किए. बता दें कि कांग्रेस ने मंगलवार को कश्मीर मुद्दे पर नेहरू की आलोचना को लेकर मोदी पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि उन्होंने एक बार फिर तथ्यों की अनदेखी की है.
पीएम ने सोमवार को बोला था हमला
गुजरात के आणंद जिले में सोमवार को एक रैली को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने नेहरू पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने अन्य रियासतों के विलय से संबंधित मुद्दों को चतुराई से हल किया, लेकिन एक व्यक्ति कश्मीर मुद्दे को नहीं सुलझा सका. इस भाषण के बाद कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए थे साथ ही बीजेपी को भी घेरने की कोशिश की थी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नरेंद्र मोदी पर सवाल भी उठाए थे. इसके बाद बुधवार को रीजीजू ने सिलसिलेवार ट्वीट में नेहरू से जुड़े मुद्दे पर जयराम रमेश पर पलटवार किया. उन्होंने कहा, ‘यह ऐतिहासिक झूठ कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था, जवाहर लाल नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए बहुत लंबे समय तक चला है.’
इतिहास भी बताने लगे रिजिजू
रिजिजू ने लोकसभा में नेहरू के 24 जुलाई, 1952 के भाषण का हवाला देते हुए दावा किया कि महाराजा हरि सिंह ने पहली बार भारत में जम्मू कश्मीर के विलय के लिए आजादी से एक महीने पहले ही जुलाई 1947 में नेहरू से संपर्क किया था, और यह नेहरू थे जिन्होंने महाराजा की बात को अस्वीकार कर दिया था.कानून मंत्री ने कहा, नेहरू ने जुलाई 1947 में महाराजा हरि सिंह के विलय के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, बल्कि नेहरू अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल कर रहे थे. यह तब था जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के कई किलोमीटर अंदर पहुंच गए थे. कश्मीर को एकमात्र अपवाद क्यों बनाया गया था नेहरू द्वारा... सच तो यह है कि भारत अभी भी नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है.’
ये भी पढ़ें