(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
LAC पर भारत-चीन ‘डिसइंगेजमेंट’ के बीच सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाए चीन की मंशा पर सवाल, 'युद्ध' को बताया विकल्प
सुब्रमण्यम स्वामी इस ट्वीट पर एक यूजर ने उनके ट्वीट करते हुए पूछा- स्वामी जी, आप क्या इसके लिए सुझाव देते हैं? इसके जवाब में स्वामी ने जवाब दिया- युद्ध.
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिणी तट से भारत और चीन के सैनिकों के हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. इसके साथ ही, हॉट स्प्रिंग, गोगरा, देपसांग प्लेन में तैनात सैनिकों की वापसी को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने चीन की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं और विकल्प के तौर पर 'युद्ध' को ही एक मात्र रास्ता बताया है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार को एक ट्वीट करते हुए कहा- "सरकार के सूत्रों ने मुझे यह स्पष्ट किया है कि डेपसांग इलाके को खाली करने का कोई सवाल नहीं है. चीन ने कहा कि डिसइंगेजमेंट के लिए भारत ने अप्रैल 2020 वाली स्थिति बहाल करने की मांग की है. लेकिन, देपसांग पर चीन ने धीरे-धीरे 1998 से लेकर 2013 तक कब्जा जमाया है. इस प्रकार हमें उन्हें बेदखल करना होगा जिनके लिए तंत्रिकाओं की आवश्यकता है."
Government sources tell me the Chinese have made it clear: No question of vacating Depsang area. Chinese say India has a April 2020 cut off for disengagement. But Depsang was acquired by Chinese bit by bit from July 1998 till 2013. We thus have to evict them which needs nerves.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 22, 2021
सुब्रमण्यम स्वामी के इस ट्वीट पर एक यूजर ने उनके ट्वीट करते हुए पूछा- स्वामी जी, आप क्या इसके लिए सुझाव देते हैं? इसके जवाब में स्वामी ने जवाब दिया- युद्ध.
भारत-चीन के बीच हुई 10वें दौर की वार्ताWar
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 22, 2021
भारत और चीन दोनों के ही रक्षा मंत्रालयों ने रविवार को साझा-बयान जारी कर कहा कि 20 फरवरी (शनिवार) को कोर कमांडर स्तर की 10वें दौर की बैठक चीन के मोल्डो (चुशूल) बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर आयोजित की गई थी, जिसमें दोनों पक्षों ने पैंगोंग-त्सो झील इलाके में फ्रंटलाइन पर तैनात सैनिकों के डिसइंगेजमेंट को पूरा करना एक ‘महत्वूपर्ण कदम’ माना है.
साझा बयान में कहा गया, “इस सकारात्मक कदम से पश्चिमी सेक्टर (भारत के उत्तरी इलाका) में एलएसी के अन्य (विवादित) मुद्दों के समाधान के लिए एक अच्छा आधार बना है.” साथ ही कहा गया कि मीटिंग में इन ‘मुद्दों पर स्पष्ट और गहन विचारों का आदान-प्रदान हुआ.’ बता दें कि शनिवार को दसवें दौर की बैठक में दूसरे चरण के डिसइंगेजमेंट पर लंबी बातचीत हुई थी. ये मीटिंग एलएसी के मोल्डो गैरिसन में चीन की तरफ हुई थी. मीटिंग शनिवार सुबह 10 बजे शुरू हुई थी और देर रात 2 बजे खत्म हुई थी.
मीटिंग में दोनों देशों के कोर कमांडर्स ने पहले चरण के डिसइंगेजमेंट पर संतोष जताया था. बैठक में दूसरे चरण के लिए पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के डेपसांग प्लेन, गोगरा और हॉट स्प्रिंग में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटना पर बातचीत हुई थी.
इस बैठक में भारतीय सेना की लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने हिस्सा लिया, जबकि चीन की तरफ से पीएलए आर्मी के दक्षिणी शिंचियांग के मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल हुए. सूत्रों की मानें तो गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर तो बात बन सकती है, लेकिन डेपसांग प्लेन पर मामला अटक सकता है. क्योंकि डेपसांग प्लेन का विवाद काफी पुराना है और वर्ष 2002 से लंबित है.
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