'मुस्लिमों का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला शब्द है सेकुलर', बीजेपी के मुसलमान नेता ने क्यों कही ये बात?
Secular Word Harm Most To Muslims: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बीजेपी ने मुस्लिमों को साधने की अभी से कोशिशें शुरू कर दी हैं. इस बीच बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने सेकुलर शब्द पर बड़ा दावा किया है.
Secular Word: बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने सोमवार (19 जून) को कहा कि इस देश और इसकी मुस्लिम आबादी को सबसे ज्यादा नुकसान सेकुलर शब्द से हुआ है. उन्होंने कहा कि किसी और शब्द ने इतना नुकसान नहीं पहुंचाया, जितना सेकुलर शब्द ने किया है. बिहार के करछना में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष ने इस शब्द का इस्तेमाल 'फेविकोल' की तरह किया. शाहनवाज हुसैन ने कहा कि इसका इस्तेमाल कर विपक्ष अपने वोट बैंक को बांधे रखता है.
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बीते 75 सालों से वो (सियासी दल) मुस्लिमों को डरा रहे हैं और उन्हें एक वोट बैंक बना दिया. उन्होंने कहा कि यूपी और बिहार में सेकुलरिज्म की दुकान अब बंद होने की कगार पर आ गई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस देश और मुस्लिमों को सबसे ज्यादा किसी शब्द ने नुकसान पहुंचाया है तो वो सेकुलर शब्द है.
बैठक में खाएंगे लिट्टी-चोखा और लौट जाएंगे- बीजेपी नेता
शाहनवाज हुसैन ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दलों की 23 जून को होने वाली बैठक पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ये लोग बिहार आएंगे, अंतरराष्ट्रीय लिट्टी-चोखा खाकर 35 सेकेंड के लिए अपने हाथ उठाएंगे और वापस अपने रास्तों की ओर लौट जाएंगे. बीजेपी नेता यहां मोदी सरकार के कामों को लेकर एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे.
ज्यादातर मुस्लिमों के पूर्वज थे हिंदू- बृजभूषण शरण सिंह
सेकुलर शब्द पर इस तरह के दावे से पहले एक बीजेपी सांसद मुस्लिमों के पूर्वजों को लेकर अजीबोगरीब दावा कर चुके हैं. बीते दिनों बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, '' देश के ज्यादातर मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे. हमने इसे लेकर एक सर्वे भी कराया है.'' उन्होंने ये भी दावा किया कि बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज बीजेपी से जुड़ रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बीजेपी ने मुस्लिमों को अपने खेमे में करने के लिए अभी से कोशिशें शुरू कर दी हैं. उत्तर प्रदेश में मिशन 80 का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी की ओर से अल्पसंख्यक समाज को भी अपने साथ जोड़ने के लिए लाभार्थी सम्मेलन, संपर्क और संवाद के तमाम अलग-अलग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
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