Savarkar Row: 'कांग्रेस सावरकर के विचारों को तोड़ मरोड़कर करती है पेश', विनोद तावड़े ने राहुल गांधी पर साधा निशाना
Vinod Tawde On Savarkar: विनोद तावड़े ने कहा कि सावरकर से नफरत करने वाले राहुल गांधी को पहले इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी जैसे कांग्रेस नेताओं के सावरकर पर विचारों का अध्ययन करना चाहिए.
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Rajasthan News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में रविवार (2 अप्रैल) को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (Veer Savarkar) के जीवन दर्शन पर कार्यक्रम अयोजित किया गया. इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े (Vinod Tawde) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि एक प्रखर देशभक्त, अनगिनत विशेषणों से विभूषित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर जैसे महापुरुष पर राजनीतिक स्वार्थ के चलते कीचड़ उछालने वाले राहुल गांधी को खुद अपने परिवार की तीन पीढ़ियों से आगे के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का बिल्कुल ज्ञान नहीं है.
अपने लंबे भाषण में तावड़े ने स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की देशभक्ति के कई उदाहरण देते हुए उनके साहित्यिक पहलुओं की विस्तृत चर्चा की. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज राहुल गांधी और कांग्रेस के कई नेता ओछी राजनीति के लिए स्वतंत्रता सेनानी सावरकर के विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की मुहिम में जुटे हुए हैं. ऐसे समय देश को सावरकर के बहुमुखी व्यक्तित्व पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है. विनोद तावड़े ने कहा कि इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी सावरकर पर पहला डाक टिकट जारी किया जबकि खुद डॉ. मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के महान योगदान को स्वीकार किया था.
सोनिया और राहुल गांधी पर साधा निशाना
विनोद तावड़े ने आगे कहा कि लेकिन कांग्रेस के स्वयंभू नेता बनने वाली सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को इतिहास के इस पहलू को भी जानना चाहिए. स्वतंत्रता संग्राम के नायक सावरकर न केवल एक उत्साही देशभक्त थे बल्कि वह एक सशस्त्र क्रांतिकारी और एक कालजयी साहित्यकार भी थे. सावरकर ने कविता, नाटक, साहित्य, चिंतनशील लेखन जैसे साहित्य के विभिन्न आयामों में अपनी महान प्रतिभा का परिचय दिया.
"सावरकर जन्मजात देशभक्त थे"
तावड़े ने सावरकर के असाधारण काव्य प्रतिभा का जिक्र करते हुए सावरकर की अमर कृतियों की सारगर्भित विवरण दर्शकों के सामने पेश किया. उन्होंने कहा कि सावरकर जन्मजात देशभक्त थे. पंद्रह साल की उम्र में उन्होंने स्वदेशी पर कथा लिखीं. चापेकर बंधुओं ने 22 जून, 1897 को पुणे में रैंड की हत्या कर दी और उस समय चापेकर के पराक्रम का वर्णन करते हुए सावरकर ने एक कविता लिखी. इस कविता में रैंड के अत्याचारों और चापेकर भाइयों के कारनामों का विस्तार से और जोश से वर्णन किया गया है.
बीजेपी नेता ने बताया कि इस अवधि के दौरान, सावरकर ने 1902 में शिवाजी महाराज की आरती भी लिख डाली. उस समय सावरकर पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में छात्र के रूप में पढ़ रहे थे और वे चाहते थे कि सभी छात्र एक साथ आकर हम सभी के आराध्य शिवाजी महाराज की आरती करें. उन्होंने कहा कि यह शिवाजी महाराज के प्रति सावरकर के सम्मान और अपने साथियों के मन में देशभक्ति जगाने की उनकी इच्छा को दर्शाता है.
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