बीजेपी नेता ने जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को लेकर जेपी नड्डा को लिखा पत्र, कहा- यह बम विस्फोट से भी ज्यादा खतरनाक
अश्विनी उपाध्याय ने जनसंख्या नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली हुई है. शीर्ष अदालत में 14 अगस्त को सुनवाई होनी है.
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को लेकर पत्र लिखा है. जनसंख्या विस्फोट को लेकर लिखे अपने पत्र में उपाध्याय ने कहा कि यह देश के लिए बम विस्फोट से भी ज्यादा खतरनाक है. उन्होंने कहा कि इसे रोकना बेहद जरूरी है. बीजेपी नेता ने समान नागरिक संहिता लागू करने की भी मांग की है.
बता दें कि अश्विनी उपाध्याय ने जनसंख्या नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली हुई है. शीर्ष अदालत में 14 अगस्त को सुनवाई होनी है. उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा, "आदरणीय जेपी जी, मैं आपका ध्यान देश की 50% समस्याओं के मूल कारण 'जनसंख्या विस्फोट' की तरफ आकृष्ट करना चाहता हूं. प्रधानमंत्री भी 'जनसंख्या विस्फोट' पर पहले ही अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि 'समान नागरिक संहिता' और 'जनसंख्या नियंत्रण कानून' लागू किए बिना भारत को विश्वगुरु बनाना असंभव है.
मालूम हो कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि बढ़ती आबादी के चलते लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं. संविधान में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने का अधिकार सरकार को दिया गया है, इसके बावजूद अब तक सरकारें इससे बचती रही हैं.
याचिकाकर्ता की है ये दलील
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दलील है कि भारत में दुनिया की कुल कृषि भूमि का 2 फ़ीसदी और पेयजल का चार फ़ीसदी है जबकि आबादी पूरी दुनिया की लगभग 20 फ़ीसदी है. ज़्यादा आबादी के चलते लोगों को आहार, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है. यह सीधे-सीधे सम्मान के साथ जीवन जीने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. आबादी पर नियंत्रण पाने से लोगों के कल्याण के लिए बनी तमाम सरकारी योजनाओं को लागू करना आसान हो जाएगा. इसके बावजूद सरकारें जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून नहीं बनाती है.
याचिका में कहा गया है कि 1976 में किए गए संविधान के 42वें संशोधन में जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का अधिकार सरकार को दिया गया था. इस अधिकार को सातवीं अनुसूची में जगह दी गई थी. यह समवर्ती सूची में है. यानी केंद्र या राज्य सरकार, दोनों इस पर कानून बना सकते हैं. लेकिन कोई भी ऐसा नहीं करता है. कोर्ट में दलील रखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा, "जनसंख्या वृद्धि विस्फोटक स्तर पर जा चुकी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 125 करोड़ लोगों का आधार कार्ड बन चुका है. करीब 25 करोड लोग अभी भी आधार से वंचित है. इस तरह से भारत की आबादी करीब 150 करोड़ हो गई है. इनमें से 5 करोड़ लोग बांग्लादेश या म्यांमार से आए हुए अवैध घुसपैठ हैं. लेकिन जनसंख्या नियंत्रण देश की नीति बनाने वालों की प्राथमिकता में कहीं नजर नहीं आता."
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