नई दिल्ली: कई महीनों से बीजेपी पर निशाना साधने के बाद असंतुष्ट यशवंत सिन्हा ने एक राजनीतिक मंच शुरू किया है. इसमें बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के नेतृत्व में कई नेता शामिल हुए. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि उनका संगठन राष्ट्र मंच एक राजनीतिक कार्रवाई समूह है. यह केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन शुरू करेगा.


तृणमूल कांग्रेस सांसद दिनेश त्रिवेदी, कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी, सांसद मजीद मेमन, आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता और जेडीयू नेता पवन वर्मा उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने मोर्चा शुरू करने के लिये आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इसके साथ ही जयंत चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सोमपाल और हरमोहन धवन भी उपस्थित थे.


शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि वह मंच में इसलिए शामिल हुए हैं, क्योंकि उनकी पार्टी ने अपनी राय जाहिर करने के लिये उन्हें मंच नहीं दिया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि मोर्चे का समर्थन करने के उनके फैसले को पार्टी विरोधी गतिविधि के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिये क्योंकि यह राष्ट्र हित में है.


यशवंत सिन्हा ने मौजूदा स्थिति की तुलना 70 साल पहले के समय से की जब महात्मा गांधी की आज ही के दिन हत्या कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं.


सिन्हा ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों को 'भिखारियों की स्थिति' में ला दिया है. उन्होंने सरकार पर अपने हितों के अनुरूप 'मनगढ़ंत' आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया.


वरिष्ठ नेता ने हालांकि दावा किया कि राष्ट्र मंच एक गैर दलीय राजनीतिक कार्रवाई समूह होगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मंच किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है और राष्ट्रीय मुद्दों पर जोर देने के लिये वह कार्य करेगा.


उन्होंने कहा, 'यह कोई संगठन नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन है.' साथ ही आर्थिक और विदेश नीतियों के लिये सरकार पर हमले किये. यशवंत सिन्हा ने कहा, 'बीजेपी में सभी लोग डरे हुए हैं हम नहीं'. उन्होंने कहा कि देश में संवाद और चर्चा असभ्य, एकतरफा और खतरनाक हो गई है.


आगे बात करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, ऐसा लगता है कि भीड़ का काम न्याय देने का हो गया है. उन्होंने कहा कि संसद के बजट सत्र के पहले चरण में प्रभावी रूप में सिर्फ चार कामकाजी दिन होंगे यह अभूतपूर्व है. किसानों के मुद्दे को उठाना उनके संगठन की शीर्ष प्राथमिकता होगी.


बता दें कि 80 साल के यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रह चुके हैं. यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की नीतियों और उसकी कार्यशैली की खुलेआम आलोचना की है.