कहीं बीजेपी नेता ही न खराब कर दें पार्टी का पसमांदा मुस्लिमों तक पहुंचने का प्लान, पढ़ें मोदी की मुश्किल
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पसमांदा मुस्लिमों पर फोकस करने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पसमांदा समुदाय से आने वाले एक मंत्री को सम्मान तक नहीं दिया जा रहा.
BJP Plan For Pasmanda Muslims: इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव है. बीजेपी ने चुनावों के मद्देनजर रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. हाल ही में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक टारगेट भी दिया. उन्होंने कहा कि हमें पसमांदा मुस्लिमों पर विशेष फोकस करने की जरूरत है. हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि बीजेपी के नेता ही पार्टी का प्लान खराब करने में तुले हुए हैं.
दरअसल, गणतंत्र दिवस के एक कार्यक्रम में योगी सरकार के पूर्व अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री मोहसिन रजा और वर्तमान में अल्पसंख्यक विभाग संभाल रहे मंत्री दानिश आजाद अंसारी कुर्सी को लेकर भिड़ गए. ये घटना मंच पर उस दौरान हुई जब यहां योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत बीजेपी के कई बड़े नेता मौजूद थे.
बता दें कि दानिश आजाद अंसारी पसमांदा समाज से आते हैं. पसमांदा समाज को बीजेपी इन दिनों साधने में लगी हुई है. वरिष्ठ पत्रकार आसमोहम्मद कैफ का कहना है कि दोनों के बीच जो कुछ हुआ वो कंफ्यूजन नहीं है और ऐसा नजर आ रहा है मोहसिन रजा जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोहसिन रजा के चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा है कि कोई नाराजगी है.
इस नाराजगी से लेने के देने न पड़ जाएं!
उन्होंने कहा कि दानिश आजाद अंसारी इस पूरी घटना में काफी शांत नजर आए, नहीं तो ये समस्या बड़ी हो सकती थी. ऐसे में बीजेपी को इससे काफी नुकसान हो सकता था. आसमोहम्मद कैफ का कहना है कि मोहसिन रजा, दानिश आजाद अंसारी से नाराज तो हैं और इसकी पहली वजह तो यही है कि उनको वही विभाग सौंपा गया, जहां से मोहसिन रजा को हटाया गया था. इसमें दूसरी बात ये भी है कि दानिश अंसारी पसमांदा मुस्लिम समुदाय से आते हैं और मोहसिन शिया समुदाय से आते हैं, ऐसे में वो खुद को ऊंचा मानते हैं. इससे बीजेपी को नुकसान तो जरूर होगा.
मोहसिन रजा ने बिगाड़ा बीजेपी का प्लान पसमांदा!
वरिष्ठ पत्रकार राहुल लाल का कहना है कि पूरा फुटेज देखने के बाद ये समझ आता है कि दोनों के बीच तकरार तो है. प्रोटोकॉल के तहत मोहसिन रजा को अपनी निर्धारित सीट पर बैठना चाहिए था. यहां मोहसिन रजा में टीस भी नजर आ रही है, लेकिन गणतंत्र दिवस पर ऐसा करना गलता है. वहीं अगर इसे पसमांदा के एंगल से देखें तो बीजेपी इस पर लंबे समय से काम कर रही है. जब बिहार में भी बीजेपी, जेडीयू के साथ गठबंधन में थी तो वहां भी काफी काम किया गया.
'बीजेपी पर सवाल उठने लाजमी हैं'
राहुल लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद भी राष्ट्रीय स्तर पर इसकी बात कर रहे हैं. हम भी जब मुस्लिम समुदाय से बात करते हैं तो बड़ा वर्ग तो अभी भी बीजेपी से दूरी बनाकर रखता है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है कि जो ये सोचता है कि क्या दूसरे दलों ने उनका वेलफेयर किया. ये सवाल हमेशा ही उठता है और विशेष रूप से पसमांदा समुदाय में ये होता है. अगर उनके समुदाय से कोई मंत्री भी बन जाता है तो फिर भी लोग उन्हें सम्मान देने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में पसमांदा को लेकर बीजेपी के फॉर्मुले पर सवाल उठने लाजमी हैं. ये नेता कहीं न कहीं बीजेपी के प्लान पर पानी फेर रहे हैं.