Remarks on Prophet Mohammad: कुवैत (Kuwait) के डिपार्टमेंटल स्टोर पर भारतीय उत्पादों के खिलाफ लगाए गए नोटिस का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है. इसमें पैगम्बर मोहम्मद (Prophet Mohammad) के खिलाफ बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) और नवीन कुमार जिंदल (Naveen Kumar Jindal) की टिप्पणियों पर नाराजगी जताते हुए की गई कार्रवाई बताया जा रहा है.
एबीपी न्यूज इस वीडियो की सत्यता को प्रमाणित नहीं करता. लेकिन वीडियो से इतना साफ है नुपुर शर्मा और नवीन कुमार की गैर-जिम्मेदार टिप्पणियों ने जहां भारत विरोधी तत्वों को बैठे-बैठाए मौका दे दिया है. वहीं भारत के लिए कूटनीतिक मुश्किलें भी खड़ी कर दी है. ऐसे में केंद्र सरकार और खासतौर पर विदेश मंत्रालय का अमला अब ताबड़तोड़ नुकसान की भरपाई और रिश्तों की रिपेयरिंग में जुटा है.
इस बात का खतरा भी नजर आ रहा है कि दो छोटे नेताओं की करतूत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खाड़ी देशों के साथ भारत के रिश्तों की मिठास बढ़ाने की बीते आठ साल की मेहनत में कड़वाटह घोल सकती है. इससे न केवल खाड़ी देशों में रहने वाली बड़ी भारतीय आबादी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. बल्कि भारतीय उत्पादों के लिए खाड़ी के बाजार और इस्लामिक देशों के निवेश का रास्ता भी बाधित हो सकता है.
इस्लामिक देशों से संबंध
यह किसी से छुपा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में सत्ता संभालने के बाद से ही भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम खाड़ी क्षेत्र के इस्लामिक देशों के साथ संबंधों की बेहतरी पर ध्यान दे रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कई दौरे भी किए और रणनीतिक साझेदारी के कई समझौते भी किए.
इसके चलते सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे चुके हैं. वहीं बहरीन, यूएई समेत कई मुल्कों में भारतीयों के हिंदू संगठनों को मंदिर निर्माण के लिए जमीनें देने के साथ ही आपसी कारोबार बढ़ाने के भी कई अहम समझौते हुए हैं. बीचे चार सालों में ही भारत और खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार इजाफा ही दर्ज किया गया है.
आंकड़े बताते हैं कि बीते आठ सालों में खाड़ी के देशों से भारत में निवेश भी बढ़ा है. यूएई जैसे देश तो कश्मीर में औद्योगिक निवेश के लिए अपना प्रतिनिधिमंडल भेज चुके हैं. इतना ही नहीं भारत खाड़ी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार का ग्राफ भी बढ़ा है.
सवाल केवल भारत के पश्चिम में मौजूद खाड़ी और मध्य-एशिया के इस्लामिक देशों का ही नहीं है. भारत के पूर्वी पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश और दक्षिण पूर्व में मौजूद बांग्लादेश, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ रिश्तों में भी नुपुर शर्मा और नवीन कुमार जैसे कुछ नेताओं के गैर-जिम्मेदार बयान परेशानी बढ़ा सकते हैं. बांग्लादेश में कट्टरवादी संगठन पहले से ही शेख हसीना सरकार के भारत के साथ अच्छे रिश्तों की नीति से बौखलाए हुए हैं. वहीं मलेशिया जैसे देश पहले ही भारत से जाकिर नायक जैसे लोगों को पनाह दे चुका है.
बहरहाल, यह किसी से छुपा नहीं है कि, इस्लामिक देशों के लिए पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ की गई बेअदबी की कोई भी टिप्पणी ऐसी रेड-लाइन है जिसपर पैर रखे जाने का बाद प्रतिक्रिया स्वाभाविक है. सो, भारत की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी में नुपुर शर्मा या नवीन कुमार का सियासी कद भले ही बड़ा न हो. लेकिन उनके बयानों में बड़ी प्रतिक्रियाओं का मौका जरूर दे दिया. कुवैत, कतर, ईरान समेत कई देशों में भारतीय राजनयिकों को बुलाकर औपचारिक तौर पर नाराजगी भी दर्ज कराई गई.
पाकिस्तान की मजबूत लॉबी वाले इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के सचिवालय ने तो पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ सत्तारूढ़ पार्टी नेताओं की टिप्पणियों का हवाला देते हुए भारत में मुस्लिम विरोधी माहौल बनाने की कोशिशों का नाम देने का प्रयास किया. दुनिया के 57 इस्लामिक देशों के इस संगठन ने हिजाब विवाद से लेकर अन्य मामलों का उल्लेख करते हुए भारत में मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जता दी.
भारत का जवाबी वार
जाहिर है, इस तरह के बयानों पर भारत की तरफ से प्रतिक्रिया भी आनी थी. भारत ने इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने के साथ साथ जवाबी वार भी किया. नूपुर शर्मा मामले पर आई इस्लामिक देशों के संगठन OIC की टिप्पणियों को विदेश मंत्रालय ने गैर जरूरी और छोटी सोच का बताया.
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साफ किया, ''भारत सभी धर्मों का सम्मान करता है. एक धार्मिक व्यक्तित्व के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट और टिप्पणियां कुछ लोगों ने की. यह किसी भी रूप में भारत सरकार का नजरिया नहीं है. आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सम्बंधित संस्थाओं ने सख्त कार्रवाई की है.''
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि OIC ने इसके बावजूद, भ्रामक, प्रेरित और गलत टिप्पणी दी है. यह साफ बताता है कि इसके माध्यम से एक विभाजनकारी एजेंडा कुछ निहित स्वार्थों के इशारे पर चलाया जा रहा है. इतना ही नहीं भारत ने आग्रह किया कि OIC सचिवालय साम्प्रदायिक सोच पर विराम लगाते हुए सभी धर्मों के प्रति सम्मान दर्शाए.
हालांकि भारत के स्पष्टीकरण के बावजूद पाकिस्तान इस मुद्दे को उछालने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता. पाक विदेश मंत्रालय ने इस मामले के बहाने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार के इंजन में कोयला झौंकना तेज कर दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ही नहीं सत्ता से विपक्ष में पहुंचे इमरान खान जैसे नेताओं को भी इस बहाने बयानबाजी का मौका मिल गया.
पाकिस्तान को भारत का जवाब
हालांकि भारत ने पाक की तरफ से आए बयानों का तीखा पलटवार किया. विदेश मंत्रालय (MEA) ने दो-टूक कहा कि अपने घर में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा करने वाला देश अगर दूसरों पर टीका-टिप्पणी करे तो यह किसी को प्रभावित नहीं करता. मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) में किस तरह हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदियाओं को निशाना बनाया जाता रहा है यह पूरी दुनिया जानती है.
भारत में सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है. पाकिस्तान की तरह नहीं जहां धार्मिक उन्माद फैलाने वाले कट्टरपंथियों को सम्मानित नहीं किया जाता है और नायक बनाया जाता है.
हालांकि वार-पलटवार से परे इतना जरूर साफ है कि दो छुटभैय्या नेताओं की बयानों ने भारत के खिलाफ छींटा-कशी और आलोचना के दरवाजे बेवजह खोल दिए हैं. ऐसे में सख्त कार्रवाई का संदेश देने के साथ ही सरकार की कोशिश स्थिति को साधने की है. ताकि इसके बहाने भारत विरोधी लॉबी को आर्थिक और रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचाने का नया मौका न मिल जाए.
साथ ही इस घटनाक्रम ने यह भी जता दिया है कि घरेलू सियासत को चमकाने के लिए दिए गए लोकल सियासी बयान भी अब भारत (India) के बढ़ते कद के चलते ग्लोबल स्तर पर चुनौती बन सकते हैं. ऐसे में नेताओं को जिम्मेदारी और जवाबदेही का तराजू तौलने की जरूरत और बढ़ गई है.