नई दिल्ली: केंद्र में एकबार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली बीजेपी अब राज्यसभा में भी आने वाले समय में बहुमत हासिल कर सकती है. राज्यसभा में अभी 99 सदस्यों वाले बीजेपी नीत एनडीए को 2021 के अंत तक ऊपरी सदन में बहुमत मिलने की उम्मीद है. राज्यसभा में बहुमत मिलने के बाद जो बिल उपरी सदन में बहुमत न होने के कारण अटके पड़े हैं उन्हें बीजेपी आराम से पास करवा सकती है.


लोकसभा चुनावों में शानदार बहुमत के साथ 303 सीटें जीतने वाली सत्ताधारी बीजेपी को आने वाले दिनों में राज्यसभा में अपने सदस्यों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उसका अधिकतर सीटें जीतना लगभग तय है.


क्या है समीकरण


महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में इसी साल चुनाव होने हैं और 2020 में होने वाले राज्यसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन इन तीन राज्यों में होने वाले चुनाव में आई सीटों पर निर्भर करेगा. हाल में हुए लोकसभा चुनावों में मिली शानदार सफलता के मद्देनजर उच्च सदन में पार्टी के नेताओं को भरोसा है कि विधानसभा चुनावों में पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी और विश्वास है कि एनडीए राज्यसभा में 124 के बहुमत के आंकड़े को हासिल कर लेगी.


उत्तर प्रदेश में 2020 में राज्यसभा की करीब 10 सीटें खाली होंगी और राज्य में पार्टी के भारी बहुमत को देखते हुए पार्टी इनमें से नौ सीटें जीत सकती हैं. अगर उसके सहयोगियों बिहार में जेडीयू, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और महाराष्ट्र में शिवसेना की सीटों को जोड़ दिया जाए तो सत्ताधारी गठबंधन 2021 तक 124 सीटों के बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकता है. बीजेडी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस जैसे गैर एनडीए और गैर यूपीए दल कई अहम विधेयकों के मौकों पर सत्ता पक्ष का समर्थन कर चुके हैं.


राज्यसभा में बहुमत पाते ही पास कराएगी कई बिल


बता दें कि इस साल राज्यसभा का सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ और 28 मई को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया. लगभग पूरा सत्र विभिन्न दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया था. इसकी वजह से सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पास करवाने में नाकामयाब रही. जिसमें नागरिकता (संशोधन) विधेयक और तीन तलाक जैसा दो अहम बिल शामिल है. दोनों ही बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है लेकिन आज भी सरकार इसे राज्यसभा में पारित नहीं करवा सकी है. तीन जून को 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर ये दोनों विधेयक निष्प्रभावी हो गए. लेकिन उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में ये विधेयक दोनों सदनों में पास करवाने में NDA कामयाब हो सकती है.


तीन तलाक बिल


बीजेपी ने तीन तलाक बिल सदन में यह कहते हुए पेश किया था कि यह धर्म का मामला नहीं बल्कि लैंगिक भेदभाव का मामला है और इस पर रोक लगनी चाहिए. सरकार ने बिल में तीन तलाक को गैर कानून करार देते हुए इसके लिए सजा का प्रावधान किया था. बिल में तीन तलाक देने वाले व्यक्ति को तीन साल तक के सजा देने का प्रावधान का जिक्र था. साथ ही बिल में यह भी कहा गया था कि अगर किसी महिला को उसका पति तीन तलाक देता है और उसके पति को सजा होती है तो पति की संपत्ति में उसकी पत्नी का अधिकार होगा. विपक्ष इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मानती रही और बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की अपनी मांग पर अड़ी रही जिसके कारण राज्य सभा में यह बिल पास नहीं हो सका.


नागरिकता संशोधन बिल


यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया था. ये विधेयक जुलाई, 2016 में संसद में पेश किया गया था, जिसके तहत अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. पड़ोसी देशों के मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. विधेयक में प्रावधान है कि ग़ैर-मुस्लिम समुदायों के लोग अगर भारत में छह साल गुज़ार लेते हैं तो वे आसानी से नागरिकता हासिल कर पाएंगे. पहले ये अवधि 11 साल थी.


मोटर व्हीकल एक्ट (संशोधन)


मोदी सरकार इस बिल को भी पास करा सकती है. पिछले साल इस बिल समीक्षा कर रही संसदीय समिति ने सरकार को कुछ बड़े ही अहम सुझाव दिए थे. संसदीय समिति ने सुझाव दिया था कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ ज्यादा ज़ुर्माना लगाया जाए. ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ हर साल जुर्माना बढ़ाया जाए. समिति ने हर साल जुर्माने में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी करने की सिफ़ारिश की थी. साथ ही समिति ने कहा था कि बिल में ही ये प्रावधान किए जाए कि संसद की अनुमति लिए बिना सरकार हर साल जुर्माना बढ़ा सके. साथ ही सुबह 3 से 5 बजे के बीच कमर्शियल वाहनों के चलने पर भी रोक लगाने की सिफ़ारिश की है ताकि ड्राइवरों को आराम मिल सके. एक अहम सुझाव देते हुए कमिटी ने कहा है कि शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अगर दुर्घटना में किसी की मौत होती है तो ऐसे मामलों को आईपीसी की धारा 304 का उल्लंघन माना जाए. सरकार इस बिल को भी ऊपरी सदन में बहुमत हासिल करते ही पास करवाना चाहेगी.


NRC बिल


असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को निकालने के लिए सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया था. दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में गिने जाने वाला यह कार्यक्रम डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट आधार पर है. यानि कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहले पहचान की जाएगी फिर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाएगा.