BJP Against BRS: तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और साल 2024 में लोकसभा का चुनाव भी होना है. ऐसे में बीजेपी राज्य में अपनी छाप छोड़ने के काम में लगी हुई है. पार्टी ने तेलंगाना में बूथ स्तरीय समितियां गठित कर लीं, स्टेट लीडरशिप को मतभेद खत्म करने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं और पार्टी के दिग्गजों को केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए बड़े पैमाने पर राज्य का दौरा करने के लिए भी कहा गया है. इसी राज्य में बीजेपी का साल 2018 के विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन रहा.


सिर्फ 7 प्रतिशत वोट शेयर रहा और एक विधानसभा सीट हाथ लगी थी. तो ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस बार पार्टी को ऐसा क्या दिख रहा है कि वो तेलंगाना में इतना दम दिखा रही है.  दरअसल, बीजेपी को ये आस साल 2018 के बाद हुए स्थानीय और लोकसभा चुनावों के बाद जगी है. हालांकि, इस बात ये इनकार नहीं किया जा सकता है कि निकाय चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के नतीजों की तुलना एक-दूसरे से नहीं की जा सकती लेकिन राजनीतिक मिजाज को भांपते हुए ये भी अपना मूल्य तो रखते ही हैं.


पिछले लोकसभा चुनाव में जबरदस्त फायदा


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य में लगभग 20 प्रतिशत वोट शेयर की बढ़ोतरी देखने को मिली थी. इसके साथ ही 21 विधानसभा क्षेत्रों में भी बढ़त बना ली और 119 विधानसभा सीटों में से 22 क्षेत्रों में दूसरी स्थान पर रही. इसको अगर दूसरे लहजे में कहा जाए तो साल 2018 के दिसंबर महीने में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खास नहीं रहा और कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने लगभग 13 प्रतिशत वोट शेयर की जबरदस्त उछाल देखी.


तेलंगाना में बीजेपी का ग्राफ


साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 6.98 प्रतिशत था. इसमें पार्टी ने सिर्फ एक विधानसभा सीट जीत पाई थी. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में ये वोट शेयर बढ़कर 19.65 प्रतिशत पर पहुंच गया और 21 सीटों पर बढ़त बनाई. वहीं, स्थानीय निकाय चुनाव को अगर देखें तो साल 2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर पालिका परिषद के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 10.34 प्रतिशत था और 4 वार्ड जीते थे जो साल 2020 के चुनाव में वोट शेयर बढ़कर 34.56 प्रतिशत पर पहुंच गया और 48 वार्ड भी जीत लिए.


केसीआर की पार्टी में सेंध


इतना ही नहीं, साल 2018 में केसीआर की टीआरएस (अब बीआरएस) ने 46.87 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 88 सीटें जीती थीं. जो बाद में घटकर 41.71 प्रतिशत पर रह गया और 5 प्रतिशत का घाटा देखा गया. केसीआर की पार्टी के अलावा बीजेपी अन्य छोटे दलों के वोट शेयर को अपने पाले में खींचने में सफल रही है.


ऐसे में बीजेपी उम्मीद लगाए बैठी है कि इस बार के चुनावों में पार्टी के वोट शेयर को बढ़ाना है. राज्य के विधानसभा इसी साल के अंत तक होने हैं और उसके कुछ ही महीनों बाद 2024 का लोकसभा चुनाव होना है ऐसे में पार्टी चुनावों के लिए लामबंदी की पूरी तैयारी में लगी हुई है.  


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