क्या राजस्थान में भी टिकट बंटवारे का मध्य प्रदेश मॉडल लागू कर सकती है बीजेपी? क्या राजस्थान में भी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधायकी के चुनाव में उतारा जा सकता है? मध्य प्रदेश की दूसरी लिस्ट आने के बाद इन अटकलों ने और जोर पकडा है. जयपुर से लेकर दिल्ली तक इस तरह की चर्चाओं का जोर है कि बीजेपी राजस्थान में भी बड़े चेहरों को उतार सकती है. 


चर्चाओं के मुताबिक, जिन केंद्रीय मंत्रियों या सांसदों को बीजेपी लड़ा सकती है, उनमें जिन संभावित नामों की चर्चा है, उनमें कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, सांसद किरोड़ी लाल मीणा, सांसद स्वामी सुमेधानंद और सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया हैं. हालांकि, ये अभी सिर्फ कयास हैं, लेकिन इन कयासों को बीजेपी के मध्य प्रदेश वाले राजनीतिक प्रयोग से बल मिला है.


राजस्थान में बीजेपी के फैसलों से चर्चाएं तेज
राजस्थान चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट अभी आनी बाकी है, लेकिन पार्टी के भीतर एमपी मॉडल की चर्चाएं तेज हैं. राजस्थान में बीजेपी ने चुनाव को लेकर जो हाल में फैसले लिए, उसको देखते हुए भी ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं. जैसे केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को बीजेपी ने पिछले महीने ही राजस्थान की चुनाव घोषणापत्र समिति का संयोजक बनाया. इसी समिति में दो राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और घनश्याम तिवाड़ी को बतौर सह-संयोजक शामिल किया गया है, जबकि राजस्थान की चुनाव प्रबंधन समिति में बीजेपी ने सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को सह-संयोजक बनाया है. मतलब बीजेपी महीनेभर पहले ही राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले अपने सांसदों और केंद्रीय मंत्री को राजस्थान चुनाव के काम में जिम्मेदारी सौंपकर संकेत दे चुकी थी.


गजेंद्र सिंह शेखाव ने कहा, 'अपने कार्यकर्ता को उतार रही बीजेपी'
केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधायकी के चुनाव में उतारने के पक्ष में सत्ता पक्ष के पास कई दलीलें हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखाव ने कहा, 'बीजेपी अपने केंद्रीय मंत्री को नहीं उतारी रही है बल्कि अपने कार्यकर्ताओं को उतार रही है. अपने कार्यकर्ता का जहां जैसा उपयोग है उस दृषिकोण से उपयोग करना. मुझे लगता है कि इससे कांग्रेस पार्टी को क्यों पेट में दर्द हो रहा है इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा है.' वहीं, बीजेपी के राजस्थान प्रभारी प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सांसद को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए ऐसा कहीं प्रावधान नहीं है. कांग्रेस ने पहले ऐसा किया है,  जो लोग खडे हुए ये राज्य के नेता हैं. कांग्रेस के पास नेता नहीं हैं. हालांकि, बीजेपी के टिकट बंटवारे के एमपी मॉडल पर सवाल भी उठ रहे हैं. बीजेपी ने इंदौर-1 सीट से अपने जिन हैवीवेट कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा है. उन्होंने भरी सभा में कह दिया कि वो चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'मेरी चुनाव लडने की इच्छा ही नहीं थी. बड़े नेता हो गए अब हाथ जोड़ने कहां जाएंगे. भाषण देना और निकल जाना यही सोचा था और प्लान बनाया था. रोज 8 सभाएं करनी हैं 5 हेलीकाप्टर से 3 कार से लेकिन जो सोचते है वह होता कहां है भगवान की जो इच्छा होती है वही होता है. मुझे अभी भी विश्वास नहीं है कि फिर एक बार उम्मीदवार बन गया हूं.'


कांग्रेस का क्या कहना है?
बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव में 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों और एक पार्टी महासचिव को एमएलए का चुनाव लड़ने के लिए उतारा है, लेकिन विजयवर्गीय के बयान का एक सिरा पकड़कर कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी डर गई है.  कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, अमित शाह, मोदी डरे हुए हैं... बीजेपी मे बड़ें बड़ें के टिकट कट सकते है.' मध्य प्रदेश में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'हम कांग्रेस से क्या घबराएंगे, हम  लगातार इन्हें हराते हुए आ रहे हैं... अभी हमने हारी हुई सीटों पर टिकट दिए हैं.' जहां इस बात की चर्चा है कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर बीजेपी राजस्थान में भी बड़े-बड़ों पर दांव लगाने की तैयारी में है. वहीं, अपनी सरकार की वापसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यभर में कांग्रेस की यात्रा शुरू कर दी है. यानी राजस्थान का चुनावी रण दिलचस्प होने जा रहा है.


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