नई दिल्ली: हनुमान जी की जाति को लेकर शुरू हुआ घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा हनुमान को दलित बताए जाने के बाद से कई से नेताओं से लेकर धर्मगुरु तक इस पर बयान दे चुके हैं. वहीं भीम आर्मी ने एलान कर दिया है कि दलित समुदाय देश भर के हनुमान मंदिर को अपने कब्जे में ले ले. हम आपको बताते हैं कि अब तक इस सारे विवाद में किस-किस ने क्या-क्या प्रतिक्रियाएं दी है.


योगी आदित्यनाथ: योगी ने अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भगवान हनुमान को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया था. योगी के इस बयान से नाराज राजस्थान सर्व ब्राह्मण महासभा ने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है.


अश्विनी कुमार चौबे: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बक्सर को हनुमान जी का ननिहाल बताया है. उन्होंने आगे बताया कि बक्सर में अंजना सरोवर है, साथ ही बक्सर में ही विश्वामित्र ने राम जी को धनुष की ट्रेनिंग दी थी. उन्होंने जाति के संबंध में कहा कि भगवान की कोई जाति नहीं होती.



बाबा रामदेव:
रांची के कार्यक्रम में पहुंचे बाबा रामदेव ने हनुमान जी के जाति विवाद पर कहा कि हनुमान जी राम भक्त हैं. वो अष्ट सिद्धि के ज्ञाता होने के साथ-साथ क्षत्रिय हैं.


बीजेपी विधायक सुरेन्द्र सिंह: सुरेंद्र सिंह ने अपने ही सीएम के बयान से असहमती जातते हुए कहा कि किसी देवता को जाति से जोड़ना सही नहीं है. भगवान तो सभी जातियों के भगवान हैं. भगवान को किसी जाति से जोड़ना उनके विचार से उचित नहीं है.


नंद कुमार साय: राष्ट्रीय अनूसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान को अनूसूचित जनजाति का बताया है और कहा है कि वो आदिवासी थे. नंद कुमार साय ने कहा कि लोग समझते हैं राम की सेना में वानर थे, भालू थे और गिद्ध थे. ऐसा नहीं है. हमारी जनजाति, हमारे समाज में गिद्ध और हनुमान गोत्र हैं. ये तो वो आदिवासी थे जो भगवान राम की लड़ाई में उनके साथ गए थे.


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सत्यपाल सिंह: केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा, ''भगवान राम और हनुमान जी के युग में, इस देश में कोई जाति-व्यवस्था नहीं थी. कोई दलित, वंचित और शोषित नहीं था. हनुमान जी आर्य थे. इस बात को मैंने स्पष्ट किया है, उस समय आर्य जाति थी और हनुमान जी उसी आर्य जाति के महापुरुष थे."


चंद्रशेखर आजाद (भीम आर्मी प्रमुख): बीजेपी नेता की इस टिप्पणी पर चंद्रशेखर ने कहा, "दलितों को देश के सभी हनुमान मंदिरों की कमान अपने हाथ में ले लेनी चाहिए और उन मंदिरों में दलितों को पुजारी नियुक्त करना चाहिए."


शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती: शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने हनुमान जी की जाति बताने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हनुमान जी को दलित शब्द से संबोधित करना गलत है. दलित शब्द तो मायावती की देन है. शंकराचार्य ने कहा उन्होंने तो रूद्र का रूप त्याग कर वानर रूप रखा था. सनातन संस्कृति में दलित शब्द का उल्लेख नहीं है.


योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद सियासी घमासान तेज होने के साथ सोशल मीडिया पर भी ये मुद्दा गर्मा गया है. बहुत से लोगों ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की है. वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आगरा के एक हनुमान मंदिर पर दलित समुदाय के लोगों ने कब्जा कर लिया है.


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