Madal Virupakshappa: '8.23 करोड़ रुपये सुपारी की बिक्री से आए थे...', भ्रष्टाचार मामले में फंसे BJP विधायक का दावा
Madal Virupakshappa Alleged Corruption Case: कर्नाटक के बीजेपी विधायक मदल विरुपक्षप्पा ने हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद पत्रकारों से कहा कि उनके यहां से मिला कैश सुपारी की बिक्री से आया था.
Karnataka BJP MLA Madal Virupakshappa Alleged Corruption Case: कर्नाटक के बीजेपी विधायक मदल विरुपक्षप्पा (Madal Virupakshappa) ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच मंगलवार (7 मार्च) को कहा कि उनके घर और कार्यालय से जो 8.23 करोड़ से रुपये जब्त किए गए वो उन्हें सुपारी की बिक्री से मिले थे. चन्नागिरी से विधायक विरुपक्षप्पा को मंगलवार को ही कर्नाटक हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली. इसके बाद चन्नेशपुर में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब सत्ताधारी पार्टी के विधायक के खिलाफ छापेमारी की गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीजेपी विधायक ने स्वीकार किया कि घर में पाया गया धन उनके परिवार का है. उन्होंने कहा, ''हमारा ताल्लुक सुपारी की धरती से है. हमारी सुपारी वाली धरती के एक साधारण किसान के घर में पांच से छह करोड़ रुपये होते हैं. मेरे पास सुपारी का 125 एकड़ का खेत है, सुपारी का बाजार है और कई अन्य व्यवसाय भी हैं. मैं लोकायुक्त को उचित दस्तावेज पेश करूंगा और अपना धन वापस लूंगा.''
छापेमारी में मिला करोड़ों का कैश, गहने और जमीन में निवेश
गौरतलब है कि लोकायुक्त अधिकारियों ने हाल में विरुपक्षप्पा के बेटे प्रशांत कुमार एमवी को कथित तौर पर केएसडीएल कार्यालय में अपने पिता की ओर से एक ठेकेदार से 40 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. (3 मार्च) को आगे की छापेमारी में मदल परिवार के घर से 8.23 करोड़ रुपये की नकदी, भारी मात्रा में सोने और चांदी के गहने और जमीन को लेकर बड़ा निवेश मिला था.
प्रशांत कुमार एमवी कर्नाटक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के मुख्य लेखा अधिकारी हैं. उन्होंने अपनी बेगुनाही का दावा किया है. प्रशांत का कहना है कि चूंकि उनके पास किसी भी टेंडर डॉक्यूमेंट (निविदा दस्तावेज) पर हस्ताक्षर करने का कोई प्रशासनिक अधिकार नहीं था, इसलिए उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है.
'कुछ गलत नहीं किया, इसलिए कोर्ट ने मुझे जमानत दी'
वहीं, विरुपक्षप्पा ने कहा कि केएसडीएल अधिकारियों ने सभी टेंडर को पारदर्शी तरीके से मंजूरी दी थी और कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ''मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है, इसलिए कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी.'' उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ अज्ञात लोगों ने दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक मंशा के चलते साजिश की है.