केरल में अप्रत्याशित घटना के तहत केन्द्र के नए विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य की पी. विजयन सरकार की तरफ से लाए गए प्रस्ताव का विधानसभा में बीजेपी के एक मात्र विधायक ओ. राजगोपालन ने समर्थन किया. इस प्रस्ताव में केन्द्रीय कानूनों की वापसी की मांग की गई है, जिसके विरोध में हजारों की तादाद में दिल्ली बॉर्डर पर पिछले एक महीने से भी ज्यादा वक्त से किसान आंदोलन कर रहे हैं.
बीजेपी विधायक के कदम से पार्टी को हैरानी
केरल बीजेपी ने अपने विधायक ओ. राजगोपालन के इस कदम पर हैरानी जताई है. केरल बीजेपी नेता केएस. राधाकृष्णन ने कहा- "मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि क्यों राजगोपालन जैसे व्यक्ति ने केन्द्र सरकार के खिलाफ यह कदम उठाया है जो हैरान करने वाला है. मुझे समझ नहीं आ रहा है. हर कोई जानता है कि एक सदस्य कुछ नहीं कर सकता है. लेकिन, उन्हें इस पर आपत्ति जाहिर करनी चाहिए थी. यह इच्छा और बीजेपी की भावना के खिलाफ है."
ओ. राजगोपालन बोले- कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए
सत्र के बाद राजगोपाल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. मैंने कुछ बिंदुओ (प्रस्ताव में) के संबंध में अपनी राय रखी, इसको लेकर विचारों में अंतर था जिसे मैंने सदन में रेखांकित किया.’’ उन्होंन कहा, ‘‘मैंने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया.’’
जब राजगोपाल का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया कि प्रस्ताव में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है, तब भी उन्होंने प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कही. राजगोपाल ने कहा, ‘‘मैंने प्रस्ताव का समर्थन किया और केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि वह सदन की आम राय से सहमत हैं।’’ राजगोपाल ने कहा कि यह लोकतांत्रिक भावना है.
जब राजगोपाल से कहा गया कि वह पार्टी के रुख के खिलाफ जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली है और हमें सर्वसम्मति के अनुरूप चलने की जरूरत है. हालांकि, विशेष सत्र के दौरान सदन में राजगोपाल ने चर्चा के दौरान कहा था कि नए कानून किसानों के हितों की रक्षा करेंगे और बिचौलियों से बचा जा सकेगा. हालांकि, बाद में ओ. राजगोपालन ने कहा कि यह बयान कि मैं केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ हूं, यह आधारहीन है.
गौरतलब है कि केरल विधानसभा के विशेष सत्र में बृहस्पतवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने प्रस्ताव रखा जिसे सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ), विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) और भाजपा के समर्थन से सर्वसम्मति से पारित किया गया.
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