नई दिल्ली: सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजा आंकड़ों को लेकर मोदी सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है. इन आलोचनाओं पर सरकार का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल का असर है, हालांकि जल्द ही इसे ठीक कर लिया जाएगा. इस बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है कि आने वाले समय में जीडीपी का कोई महत्व नहीं रह जाएगा.


गोड्डा से सांसद दुबे ने आज लोकसभा में कहा, ''जीडीपी 1934 में आया, इससे पहले कोई जीडीपी नहीं था...केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत की तरह सत्य मान लेना ठीक नहीं है और भविष्य में जीडीपी का कोई बहुत ज्यादा उपयोग भी नहीं होगा.''


उन्होंने कहा, ''आज की नई थ्योरी है सस्टेनेबल इकॉनोमिक वेलफेयर आम आदमी का हो रहा है कि नहीं हो रहा है. जीडीपी से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट, खुशहाली हो रहा है कि नहीं हो रहा.''


वस्तु उत्पादन, कृषि और खनन गतिविधियों में भारी कमी आने से देश की समग्र विकास दर (जीडीपी) सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 फीसदी हो गई है. यह लगातार पांचवीं तिमाही में गिरावट है और छह सालों में सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर है. 2018-19 की दूसरी तिमाही में वृद्धि 7 फीसदी पर रही थी. इसे आंकड़े के बाद विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को घेर रही है.


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