अलीगढ़: अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर एक बार फिर हंगामा खड़ा हो गया है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ हाल (यूनियन हॉल) में आज भी पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है. तस्वीर को लेकर बीजेपी के सांसद सतीश गौतम ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि पकिस्तान की तरफ से लगातार हमले जारी हैं. ऐसे में यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर लगाए रखना कितना तार्किक है?


एएमयू में राष्ट्रपति और आरएसएस की शाखा का हुआ था विरोध

यूनिवर्सिटी पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि यहां कुछ दिन पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आरएसएस का बताकर कुछ लोगों ने उनका यूनिवर्सिटी में आने का विरोध किया था. हाल में ही में यहां आरएसएस की शाखा लगाए जाने का विरोध भी किया गया था. ऐसे में यूनिवर्सिटी के अंदर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाए रखना क्या सही है?

एएमयू छात्र संघ के आजीवन सदस्य हैं जिन्ना

बता दें कि मोहम्मद अली जिन्ना आजादी से पहले 1938 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी आए थे और उस समय उनको छात्र संघ का आजीवन सदस्य बनाया गया था. गौरतलब है कि महात्मा गांधी भी यूनिवर्सिटी छात्र संघ के आजीवन सदस्य थे.

एएमयू की नीव साल 1875 में सर सय्यद अहमद खान की तरफ से मुहम्मद एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज के रुप में रखी गई थी, जो बाद में 1920 में यूनिवर्सिटी बनी. साल 1884 में विभिन्न मुद्दों पर डिबेट के लिए एक क्लब की स्थापना की गई जो परिसर में ही स्ट्रेची हॉल में चलता था. इसे कैम्ब्रिज यूनियन सोसाइटी के मॉडल पर ही तैयार किया गया था.

महात्मा गांधी भी हैं आजीवन सदस्य

साल 1920 में जब ये यूनिवर्सिटी बनी तब महात्मा गांधी ने यहां का दौरा किया था और तब छात्र संघ ने उनको आजीवन सदस्य बनाया था. महात्मा गांधी एएमयू छात्र संघ के पहले आजीवन सदस्य थे. आजादी से पहले साल 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना भी एएमयू आए और उनको भी छात्र संघ ने अपना आजीवन सदस्य बना दिया.

साल 1947 में भारत दो भागों में बंट गया. बटवारे के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सूत्रधार माना गया. उसके बाद से लगातार पकिस्तान और भारत के रिश्ते ठीक नहीं रहे. पकिस्तान की लगातार भारत के खिलाफ साजिश और आतंकवादी गतिविधियों ने दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ाने का काम किया. अपनी नापाक हरकतों की वजह से पाकिस्तान को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार मुंह की खानी पड़ी. पाकिस्तान की इन्ही हरकतों के चलते भारत भी पाकिस्तान के साथ किसी भी मंच को साझा नहीं करना चाहता.

बीजेपी सांसद ने यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर को लिखी चिट्ठी

यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर को लेकर अलीगढ़ के बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर तारिक मंसूर को एक पत्र लिख है. पत्र में बीजेपी सांसद ने उनसे पूछा है कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर लगाने की क्या मजबूरी बनी हुई है? वर्तमान में पकिस्तान की तरफ से गैर जरूरी हरकतें लगातार जारी हैं, ऐसे में जिन्ना की तस्वीर को यूनिवर्सिटी में लगाए रखना कितना तार्किक है?

संसद के अंदर तस्वीर लग सकती है तो यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं- छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष

वहीं, एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने को गलत नहीं मानते. उनका कहना है कि साल 1938 मे आजादी से पहले जिन्ना को आजीवन सदस्य्ता छात्र संघ की तरफ से दी गई थी. संसद के अंदर भी जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है. जब वहां तस्वीर लगी हुई है तो यहां गलत कैसे. जिन्ना पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? जबकि अंग्रेज भी हमारे देश के दुश्मन थे. यहां मुगलों को देश में गाली दी जाती है, लेकिन उनकी बनाई हुई चीजों पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते? 1947 में उनको भी तोड़ कर हिंदुस्तानी संस्कृति विकसित करते, ये क्यों नहीं किया?

सदस्यता को अब बदला नहीं जा सकता- एएमयू प्रशासन

वहीं, इस मामले पर एएमयू प्रशासन का का कहना है कि एएमयू स्टूडेंट यूनियन एक स्वतंत्र संस्था है. उसका एएमयू प्रशासन से डायरेक्ट नियंत्रण नहीं होता. साल 1920 से जब यूनिवर्सिटी बनी तब से छात्र संघ के लोग विभिन्न महानुभूतियों को आजीवन सदस्यता देते हैं. पहली  सदस्यता गांधी जी को दी गई थी. वो जो सदस्यता देते हैं, उससे प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है. बंटवारे से पहले जब जिन्ना आये थे तब उनको सदस्य्ता दी गई थी. ये छात्र संघ फैसला करता है. इस मसले पर हम बात करेंगे. सदस्यता पहले दी जा चुकी है इसलिए उसको बदला नहीं जा सकता.