नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर कहा है कि 10 जनवरी को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी ने कड़ी प्रतक्रिया दी है. राज्यसभा सांसद और संघ विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि यह साफ है कि यह कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है. हमें निराशा हुई है.
सिन्हा ने आज एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, 'अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि राम मंदिर का मसला उसकी प्राथमिकता में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट टालमटोल कर रहा है. यह निराशाजनक है. लोकतंत्र में उससे उम्मीद की जाती है कि वह फैसला दे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. जन भावनाओं का ख्याल नहीं रखा गया.''
उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से सांसद लल्लू सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि कोर्ट से आग्रह है कि वह जल्द से जल्द सुनवाई करे. मैं उम्मीद करता हूं कि अदालत लोगों की भावनाओं को समझेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी बात कर रहे हैं और वीएचपी अपनी बात कर रही है.
गिरिराज सिंह
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि एक बाबर के आने से 100 करोड़ हिन्दुओ को हिंदुस्तान में राम मंदिर के लिए हिंदुओं को दर-दर भटकना पड़ रहा है कल जनसंख्या वृद्धि होने के कारण का राम मंदिर को तो छोड़िए राम का नाम लेना भी हिंदुस्तान में मुश्किल हो जाएगा. संभालिए और हिंदुस्तान को संभालिए.
कांग्रेस
कांग्रेस राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर बयानबाजी से बचती दिख रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ये सबजूडिस मैटर है कुछ नहीं कह सकता हूं. जहां तक बीजेपी इसे निराशाजनक बता रही है तो बीजेपी हमेशा ही निराशाजनक रहती है.
मनमोहन दास
हनुमान गढ़ी के महंत महंत मनमोहन दास ने भी कोर्ट के रुख पर निराशा जताई है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ''अदालत लगातार मामले को लटका रही है, ये सही नहीं है. हाई कोर्ट ने मामला लटकाया तो ढांचा टूट गया. देरी होगी तो जनता निर्णय ले सकती है. कोर्ट, संसद, सरकार जनता से ऊपर नहीं है. अदालत में मामला चलने तक सरकार कुछ नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का सम्मान है लेकिन अदालत लटकाए नहीं.