राम मंदिर पर बीजेपी नेता का बड़ा फैसला, राकेश सिन्हा पेश करेंगे प्राइवेट मेंबर बिल
अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी तक मामला टलने के बाद नियमित सुनवाई की तारीख अब जनवरी में तय होगी. हालांकि यह तय नहीं हुआ है कि यही बेंच सुनवाई करेगी या नई बेंच का गठन होगा और क्या वहीं बेंच आगे की कार्यवाही तय करेगी.
नई दिल्ली: अयोध्या जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी तक टालने के बाद बीजेपी नेता ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है. राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए संसद में बिल लाएंगे. 'आरएसएस कोटे' से बीजेपी सांसद बने राकेश सिन्हा राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करेंगे. याद रहे कि सुनवाई टलने के बाद संतों, पार्टी समर्थकों-कार्यकर्ताओं और कुछ सहयोगी पार्टी की तरफ से मांग उठ रही थी कि सरकार कानून बना कर मंदिर बनाने का रास्ता साफ करे.
राकेश सिन्हा ने पूछा- तारीख पूछने वाले समर्थन करेंगे? प्राइवेट मेंबर बिल की चर्चा के बीच बीजेरी राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने विपक्ष पर सवाल उठा दिए हैं. राकेश सिन्हा ने पूछा है कि तारीख पूछने वाले बिल का समर्थन करेंगे, राकेश सिन्हा ने ट्वीट किया, ''जो लोग बीजेपी, आरएसएस को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख़ बताएं उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे प्राइवेट मेंबर बिल का समर्थन करेंगे ? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का.'' अपने इस ट्वीट में राकेश सिन्हा ने राहुल गांधी, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और चंद्रबाबू नायडू को टैग भी किया है.
जो लोग @BJP4India @RSSorg को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख़ बताए उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे private member bill का समर्थन करेंगे ? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का .@RahulGandhi @yadavakhilesh @SitaramYechury @laluprasadrjd @ncbn
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल? लोकसभा और राज्यसभा का कोई भी सदस्य प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर सकता है. आजादी के बाद से अबतक सिर्फ 14 प्राइवेट मेंबर बिल ही पास हो सके हैं. संसद से पास आखिरी प्राइवेट मेंबर बिल सुप्रीम कोर्ट (आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार) बिल था जो 9 अगस्त 1970 को कानून बना. 13वी लोकसभा में 300 प्राइवेट मेंबर बिल लाए गए जिसमें सिर्फ चार प्रतिशत पर ही चर्चा हो पाई. जबकि 96 प्रतिशत बिल बिना किसी एक चर्चा के ही गिर गए.
आरएसएस ने दोहराई कानून बनाने की मांग अयोध्या में राम मंदिर को लेकर लगातार आरएसएस की ओर से बयान आ रहे हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ये कह चुके हैं कि अब मंदिर के निर्माण में देर नहीं होनी चाहिए, सरकार मंदिर के लिए कानून बनाए. आरएसएस के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य का कहना है कि सरकार मंदिर बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करे. मनमोहन वैद्य का ये भी दावा है कि ये साबित हो चुका है कि पहले वहां मंदिर ही था जिसको तोड़कर मस्जिद बनाई गई. उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा हिंदू और मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश के गौरव को बहाल करने का है.
न्याय मिलने में देरी अन्याय के समान: योगी सुनवाई टलने के बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'न्याय मिलने में देरी अन्याय के समान' है. योगी ने कहा, ''अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से जुड़ा हुआ मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है. समय पर मिला न्याय, उत्तम न्याय माना जाता है. न्याय में देरी कभी-कभी अन्याय के सामान हो जाता है.''
आदित्यनाथ ने कहा कि संतों को पूरे धैर्य के साथ इस दिशा में होने वाले सभी सार्थक प्रयासों में सहभागी बनना चाहिए. राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने के सवाल पर बीजेपी नेता ने कहा कि मामला विचाराधीन है लेकिन उनका मानना है कि सभी विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए.
मुलायम परिवार से उठी राम मंदिर की मांग मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव राम मंदिर के पक्ष में हैं. उन्होंने साफ कहा कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है, वहां राम मंदिर बनना ही चाहिए. अपर्णा ने यह भी साफ कर दिया कि वो बीजेपी के साथ नहीं बल्कि भगवान राम के साथ हैं. अपर्णा ने कहा, "अयोध्या, राम जन्मभूमि है. ऐसा हमारे रामायण में लिखा है. वहां राम मंदिर का निर्माण होना ही चाहिए."
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मामले को जनवरी तक के लिए टाल दिया. मामला जैसे ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच के सामने आया, चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को जनवरी में उपयुक्त बेंच के सामने लाया जाए. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद साफ हो गया कि रोजाना सुनवाई की तारीख आने में अभी और समय लगेगा.
अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी तक मामला टलने के बाद नियमित सुनवाई की तारीख अब जनवरी में तय होगी. हालांकि यह तय नहीं हुआ है कि यही बेंच सुनवाई करेगी या नई बेंच का गठन होगा और क्या वहीं बेंच आगे की कार्यवाही तय करेगी.