नई दिल्ली: असम में एनआरसी का आखिरी ड्राफ्ट जारी होने के बाद देश में राजनीतिक उठापटक मची हुई है. सड़क से संसद तक एनआरसी की चर्चा हो रही है, विपक्ष पुरजोर तरीके से एनआरसी के मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रहा है वहीं सरकार कह रही है कि सबकुछ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ इसलिए कुछ भी गलत नहीं है. इस बीच आज लोकसभा में अपनी बात रखते हुए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अजीबोगरीब बयान दिया. उन्होंने कहा कि देश में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ रही है इसलिए घुसपैठ भी बढ़ रही है, पूरे देश में एनआरसी लागू होना चाहिए.


क्या बोले निशिकांत दुबे?
झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा ने कहा, 'आज स्थिति ये है कि 1931 की जनगणना के बाद धीरे धीरे मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ती गई. कभी बिहार में, कभी बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ती रहीं. 1981 में असम में जनगणना नहीं हो पाई, कांग्रेस ने चार मुख्यमंत्री लगातार बदले. झारखंड में जहां से मैं आता हूं वहां जनगणना नहीं हो पई, डिलिमीटेशन नहीं हो पाया. इस कारण से जो आबादी बढ़ रही है इससे हम लोगों को बताइए. मैं माग करता हूं कि पूरे देश में एनआरसी लागू करिए.


चुनाव आयोग ने एनआरसी पर क्या कहा?
आम चुनावों के लिए चुनाव आयोग को 4 जनवरी 2019 तक अपनी वोटर लिस्ट तैयार करनी होगी और उसी लिस्ट के आधार पर तय होगा कि कौन सा मतदाता आगामी लोकसभा चुनावों के लिए मतदान कर सकेगा या नहीं. मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ किया कि एनआरसी की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट का वोटर लिस्ट के ऊपर कोई असर नहीं पड़ेगा. अगर फाइनल रिपोर्ट भी आ जाती है और किसी का नाम एनआरसी में नहीं होता तब भी ऐसा नहीं है कि उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट से यूं ही काट दिया जाएगा. उसके बाद भी चुनाव आयोग अपनी जांच करेगा कि क्या वाकई में वह शख्स देश का नागरिक है या नहीं.


क्या कहता है एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट?
असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. NRC का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.


नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.