बीजेपी सांसद ने कहा- सुशांत मामले में शक की सुई सीधे महाराष्ट्र सरकार के शिखर तक पहुंच रही है
सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले का सच अब देश के साथ विदेशी लोग भी जानना चाहते है. वहीं बिहार में सुशांत मामले को लेकर राजनीति वाक्युद्ध भी शुरू हो गया है. एनसीपी नेताओं की टिप्पणी के बाद बीजेपी ने पलटवार किया है.
नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत के मौत की जांच सीबीआई करेगी या नहीं, इसका फ़ैसला तो सुप्रीम कोर्ट को करना है लेकिन महाराष्ट्र और बिहार के नेताओं के बीच इस मुद्दे पर वाकयुद्ध लगातार बढ़ता जा रहा है. एनसीपी नेता शरद पवार और माजिद मेमन ने सुशांत सिंह राजपूत को लेकर जो बयान दिया उस पर अब बिहार के बीजेपी नेता ने पलटवार किया है.
बिहार के औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के सांसद सुशील कुमार सिंह ने दोनों नेताओं पर पलटवार करते हुए पूछा है कि आखिर सीबीआई जांच से महाराष्ट्र के शिवसेना और एनसीपी नेताओं को घबराहट क्यों हो रही है? सुशील कुमार सिंह ने पूछा कि आखिर ऐसा क्या है जिसे महाराष्ट्र के सत्ताधारी नेता छुपाना चाहते हैं?
सुशील कुमार सिंह ने सीधा आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में संदेह की सुई महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की ओर जा रही है. जाहिर है उनका इशारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे की ओर है.
मीडिया में रह रह कर सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत के मामले में आदित्य ठाकरे का नाम लिया जा रहा है. सुशील कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे में सीबीआई जांच में ही सच सामने आ सकता है और इसीलिए महाराष्ट्र की सरकार में शामिल शिवसेना और एनसीपी जैसी पार्टियों के नेता घबराहट में ऐसे बयान दे रहे हैं.
सुशील कुमार सिंह ने इस विषय पर महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र भी लिखा था जिसमें उन्होंने मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए महाराष्ट्र सरकार से अनुशंसा भेजने का अनुरोध किया था. बीजेपी सांसद ने कहा की सुशांत सिंह राजपूत का परिवार केवल इंसाफ की ही मांग कर रहा है और कुछ नहीं.
शरद पवार ने बुधवार को कहा था कि महाराष्ट्र के सातारा में कई किसानों ने आत्महत्या की लेकिन उनकी चर्चा नहीं हो रही है जबकि एक व्यक्ति के आत्महत्या की ही चर्चा हो रही है. वहीं उन्हीं की पार्टी के नेता माजिद मेमन ने कहा था कि सुशांत सिंह राजपूत जीवित रहते हुए जितने प्रसिद्ध नहीं थे, मरने के बाद उससे ज्यादा प्रसिद्ध हो गए. दोनों बयानों की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की गई है.
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