'काबुल से लेकर कश्मीर घाटी तक के हिंदू कहां चले गए', BJP सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- अब लोगों को समझ आया...
Hindu-Sikh In Kabul: बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि 1947 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक-तिहाई जनसंख्या हिंदू और सिख थे. आज कोई बचा वहां पर.
BJP MP Sudhanshu Trivedi: भारत के पड़ोसी देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. इसके बावजूद सीएए कानून को लेकर भारत में खूब हो-हल्ला मचाया गया था. पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हिंदू खतरे में है का जवाब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती से ही मिल जाएगा.
उन्होंने कहा कि जब नेताजी अंग्रेजों की नजरबंदी से निकल कर कलकत्ता से पेशावर होते हुए काबुल गए थे, तो काबुल में एक ड्राई फ्रूट्स बेचने वाले मेहरोत्रा के यहां शरण ली थी. उन्होंने कहा कि ये सिर्फ 85 साल पुरानी बात है और अब काबुल में कितने मेहरोत्रा बचे हैं?
1947 में काबुल में एक-तिहाई थे हिंदू, अब कितने बचे- बीजेपी नेता
टीवी पर एक बहस के दौरान बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि 1947 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक-तिहाई जनसंख्या हिंदू और सिख थे. आज कोई बचा वहां पर. उन्होंने कहा कि लाहौर में 75 फीसदी हिंदू और सिख थे, कहां चले गए. कराची में दो-तिहाई थे, कहां चले गए. कश्मीर घाटी में थे, कहां चले गए. उन्होंने कहा कि ये खतरा लोगों को दिखा इसलिए जनता का विश्वास हमारे ऊपर हुआ.
1897 में भारत से कंट्रोल होते थे अफगानिस्तान और बर्मा- सुधांशु त्रिवेदी
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सवा सौ साल पहले जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था, तब पाकिस्तान-बांग्लादेश नहीं, अफगानिस्तान और बर्मा भी भारत से कंट्रोल होते थे. उन्होंने कहा कि पूरा चीन बौद्ध धर्म को मानने वाला था. तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं था. सोवियत संघ का जन्म नहीं हुआ था और हम दुनिया के सबसे बड़े देश थे.
उन्होंने कहा कि अगर बौद्ध और हिंदू धर्म को एक परिवार का धर्म मान लें, तो हिंदू सबसे बड़ा धर्म था. सब कुछ सौ-सवा सौ साल में खत्म हो गया. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद दिग्विजय सिंह जैसे लोगों को नजर नहीं आता है, इसमें कोई खतरा था या नहीं था.
ओसामा और जवाहिरी मारे गए, तो कितने अमेरिकी लोगों ने मांगे सबूत?
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक की प्रेस कॉन्फ्रेंस मिलिट्री ऑपरेशन के डीजी ने की थी, तो दिग्विजय सिंह किससे सबूत मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोग कह रहे हैं, अमेरिका की तरह सबूत दिए जाने चाहिए. बीते साल अमेरिका ने अयमान-अल जवाहिरी को मारा, तो कितने अमेरिकियों ने सबूत मांगा. उन्होंने कहा कि ओसामा बिन लादेन को मारा गया, तो कितने लोगों ने अमेरिका में उसकी लाश दिखाने की मांग की. उन्होंने कहा कि पार्टियां बदलती रहती है, लेकिन आतंकवाद पर स्टैंड नहीं बदलता है.
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