नई दिल्ली: तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद बीजेपी में आवाज उठने लगी है. बीजेपी सांसद उदित राज ने कहा है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार का एक प्रमुख कारण दलित और आदिवासी समाज की नाराजगी भी नजर आती है. पार्टी के लिए इसकी अनदेखी करना सही नहीं होगा.



बता दें कि राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनाव की वोटिंग से महज़ एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के बहराइच से बीजेपी सांसद और दलित नेता सावित्री बाई फुले ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी छोड़ने के साथ ही उन्होंने पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया था. सावित्री बाई फुले ने कहा था कि ''बीजेपी समाज में विभाजन पैदा करने का काम कर रही है.''


उदित राज ने ट्वीट करते हुए कहा, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने विरोधियों के मुकाबले लगभग नौ फीसद की बढ़त मिली थी, जिसमें से लगभग 4.5 फीसद की बढ़त दलितों, आदिवासियों के कारण थी. तब बीजेपी को अपेक्षा से अधिक सीटें मिलने का यह बहुत बड़ा कारण था. बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभाओं में बीजेपी को उस अनुपात में दलित-आदिवासियों के वोट नहीं मिले. जाहिर है कि पार्टी से कहीं न कहीं चूक जरूर हुई, जिसकी वजह से दलितों ने उसका साथ छोड़ा.



सांसद ने एक और ट्वीट में कहा कि 2014 में उन्होंने कांग्रेस का साथ इसलिए छोड़ा था कि उन्हें लगा था कि उनकी उपेक्षा हो रही है और पार्टी उनके लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही है, लिहाजा वे बीजेपी के साथ जुड़े. उनके बीजेपी से जुड़ने का एक अन्य कारण यह भी था कि नरेंद्र मोदी पिछड़े समाज से आते हैं.


उदित राज ने यह भी कहा कि अब राजनीतिक दलों को अपने मन से यह गलतफहमी निकाल देनी चाहिए कि दलितों को आसानी से लुभाया जा सकता है. कई पार्टियों का नेतृत्व मात्र मंत्रिमंडल/अन्य पदों पर दलित समाज के नेता को भागीदारी देकर मान लेता है कि इससे दलित संतुष्ट हो जाएंगे, यह सही नहीं है.


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प्रतीकात्मक भागीदारी से दलित संतुष्ट नहीं होने वाले. यही बात समाज के अन्य वंचित और पिछड़े तबकों पर लागू होती है. ये सब अपने-अपने समाज के नेताओं की सत्ता में प्रभावी भागीदारी चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अब दलितों के घर पर भोजन करना और उनके महापुरुषों के स्मारक इत्यादि बनाना ही काफी नहीं रह गया है. वे केवल इतने से ही संतुष्ट नहीं होने वाले. उन्हें पर्याप्त मान-सम्मान और वास्तविक भागीदारी भी देनी होगी.


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