Next BJP President: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में तीसरी बार एनडीए की सरकार बन चुकी है. इस बीच सोमवार (10 जून) को प्रधानमंत्री ने कैबिनेट मंत्रियों को पोर्टफोलियो बांट दिए. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को मोदी 3.0 कैबिनेट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ रसायन और उर्वरक मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में अब यह साफ हो गया है कि बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है.
भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक निर्णय अक्सर भविष्यवाणी से पड़े साबित हुए हैं. खासकर दिसंबर 2023 में जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री बनाने की बात आई थी, तब बीजेपी के निर्णय से सब अचंभित रह गए थे. इस वजह से यह आकलन करना मुश्किल है कि पार्टी नया राष्टीय अध्यक्ष किसे बनाएगी, लेकिन फिर भी कई नाम ऐसे हैं जिनपर राजनीतिक गलियारों में पार्टी का अध्यक्ष बनाने को लेकर चर्चा है.
बीजेपी अध्यक्ष की रेस में अनुराग ठाकुर
मंत्री पद के शपथ लेने से पहले (9 जून 2024) से इस बात पर भी चर्ची छिड़ी हुई थी कि मनोहर लाल खट्टर या शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी अपना अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है, लेकिन इन दोनों नेताओं के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ ही सभी दावों पर विराम लग गया. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष के लिए जो नाम सबसे पहले सामने आ रहा है वह हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर का है. हमीरपुर लोकसभा सीट से पांच बार के सांसद अनुराग ठाकुर को इसबार मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. इस वजह से भी उनको पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के दावों को बल मिलता है.
पार्टी के भीतर अनुराग ठाकुर अनुभव की बात करें तो यूथ बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हैं. अनुराग ठाकुर 2019 के जनवरी महीने में संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले भारतीय जनता पार्टी के पहले सांसद बने थे. इसके अलावा अनुराग हिमाचल प्रदेश राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव, भारतीय ओलंपिक संघ के कार्यकारी सदस्य, हिमाचल प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव के रूप में काम कर चुके हैं. अनुराग ठाकुर बीसीसीआई के संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं. मई 2016 में उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था.
उन्होंने खुद पीएम मोदी के विकसित भारत दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में कड़ी मेहनत के साथ काम जारी रखने की बात कही है. इसके अलावा बीजेपी युवा नेताओं को तरजीह देने की बात कह रही है ऐसे में अनुराग ठाकुर उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. अगर बीजेपी अनुराग ठाकुर को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुनती है तो इसका मतलब यह होगा कि हिमाचल प्रदेश के दो नेताओं को (दूसरा जेपी नड्डा) शीर्ष स्थान दिए गए हैं.
इस वजह से विनोद तांवड़े की दावेदारी है मजबूत
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप एक और नाम जो चर्चा में है वह विनोद तावड़े का है. महाराष्ट्र से आने वाले तावड़े राज्य स्तर पर मंत्री रह चुके हैं. विनोद तांवड़े ओबीसी समाज से आते हैं, जो वर्तमान में बिहार के प्रभारी महासचिव हैं. इस लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेदारियां सौंपी थी, जिसका नतीजा ये निकला कि बीजेपी बिहार में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही. इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बीजेपी पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लागाया था, जिसका खामियाजा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में ज्यादातर देखने को मिला था.
महाराष्ट्र में इस साल विधानसभा का चुनाव भी है. ऐसे में पार्टी ओबीसी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर खुद से छिटका हुआ वोट बैंक फिर से समेटने की कोशिश कर सकती है. वह भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं. विनोद तांवड़े माराठा समुदाय से भी ताल्लुक रखते हैं. पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र मराठा आंदोलन की वजह से अशांत रहा है. जगह-जगह केंद्र और राज्य सरकार के विरोध में प्रदर्शन किए गए. ऐसे में विनोद तांवड़े यहां तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं. तांवड़े ने बीते कुछ दिनों में मोदी सराकार की योजनाओं का खूब प्रचार-प्रसार भी किया है. विनोद तावड़े पहले नेता थे जिन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में कृषि के लिए अलग बजट की मांग की थी.
अमित शाह के करीबी सुनील बंसल भी रेस में
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक और नाम जो इस समय चर्चा के केंद्र में है वह सुनील बंसल हैं. वर्तमान में सुनील बंसल बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. उन्हें गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. सुनील बंसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रचारक रह चुके हैं. राजनीतिक रूप से इन्होंने कई बार खुद को साबित किया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाहु को बीजेपी ने उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया था. उस समय सुनील बंसल यूपी के सह-प्रभारी बनाए गए थे. उस चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था. इसके बाद 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें राज्य का मुख्य प्रभारी नियुक्त किया गया था. इन दोनों ही चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया था.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को अपार सफलता दिलाने के बाद पार्टी ने उन्हें ओडिशा और दक्षिण के राज्य तेलंगाना में पार्टी की पहुंच बढ़ाने का काम सौंपा, जिस पर वह खड़े उतरे. ओडिशा में तो इस बार बीजेपी पहली बार सरकार बनाने में कामयाब रही, तो वहीं पिछले साल तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. इसके अलावा लोकसभा चुनाव के समय सुनील बंसल पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ देश भर के कॉल सेंटरों पर नजर रखते हुए पार्टी के लिए कई जमीनी स्तर के प्लान तैयार कर चुके हैं.
बीएल संतोष- RSS के बड़े प्रचारक रह चुके हैं
बीएल संतोष वर्तमान में बीजेपी के महासचिव (संगठन) हैं. वह आरएसएस के बड़े प्रचारक भी रह चुके हैं. कुछ लोगों के माना है कि बीएल संतोष बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में बेहतर विकल्प हो सकते हैं, लेकिन उनके लिए यह पद पाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. ऐसे इसलिए क्योंकि 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, उसके लिए राज्य बीजेपी का एक बड़ा वर्ग बीएल संतोष को दोषी मानता है.
बीएल संतोष को बीजेपी में राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) का पद तब मिली, जब 13 वर्षों से यह पद संभाल रहे रामलाल की विदाई हुई. बीएल संतोष को परदे के पीछे रणनीति बनाने में माहिर माना जाता है. कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के साथ उनका मनमुटाव कई बार सामने आ चुका है.
पीएम मोदी के करीबी ओम माथुर भी हैं रेस में
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में एक और दावेदार राजस्थान से ओम प्रकाश माथुर हैं. उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बायां हाथ माना जाता है. छत्तीसगढ़ में हुए विधासभा चुनाव के लिए पार्टी ने उन्हें राज्य का प्रभारी बनाकर भेजा था. उस चुनाव में बीजेपी ने बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओम माथुर ने सुनील बंसल के साथ मिलकर राज्य में बीजेपी की जीत की पटकथा लिखी थी. ऐसे कहा जाता है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से ही वह ओम माथुर के संगठन के तौर पर काम करने के कायल रहे हैं.
के लक्ष्मण का नाम भी बीजेपी अध्यक्ष की रेस में
दक्षिण के राज्य तेलंगाना के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष के लक्ष्मण भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौर में बने हुए हैं. फिलहाल वह बीजेपी के ओबीसी मोर्चा प्रमुख के पद पर हैं, ऐसे में बीजेपी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दक्षिण के राज्यों में ओबीसी वोट बैंक को साध सकती है. आंध्र प्रदेश में इस बार बीजेपी गठबंधन की सरकार में सहयोगी है, ऐसे में अब पार्टी की नजर तेलंगाना पर भी होगी.
के लक्ष्मण की पहचान यहा है कि वे शांत और आक्रमक दोनों तरीके से पार्टी का प्रचार प्रसार कर सकते हैं. हालांकि तेलंगाना के बाहर उन्हें कोई नहीं जानता है, जो उनकी संभावित उम्मीदवारी के खिलाफ जाता है.