दलित अत्याचार पर अपनों के आरोपों से घिरी बीजेपी, समझें क्यों चढ़ा है राजनीतिक पारा
क्या विपक्षी पार्टियां, खुद बीजेपी के सांसद और सहयोगी दल मोदी सरकार को 'आरक्षण विरोधी और दलित अत्याचार के हिमायती', बता रहे हैं. बीजेपी के दलित सांसदों सावित्री बाई फूले, छोटेलाल, अशोक कुमार दोहरे, डॉ. यशवंत सिंह और उदित राज की चिंता एक जैसी है.
नई दिल्ली: दलित यानि देश की करीब 17 प्रतिशत आबादी भले ही देश की राजनीतिक दिशा तय करती हो लेकिन आज भी वह आखिरी पंक्ति में खड़ा है. यही वजह है कि क्या विपक्षी पार्टियां, खुद बीजेपी के सांसद और सहयोगी दल मोदी सरकार को 'आरक्षण विरोधी और दलित अत्याचार के हिमायती', बता रहे हैं. बीजेपी के दलित सांसदों सावित्री बाई फूले, छोटेलाल, अशोक कुमार दोहरे, डॉ. यशवंत सिंह और उदित राज की चिंता एक जैसी है.
उनकी बातों में दलितों के साथ मारपीट की बढ़ती वारदातें, हाल में हुई हिंसा में दलित को जानबूझकर फंसाने, सरकारी नौकरियों में आरक्षण धीरे-धीरे खत्म करने, प्रमोशन में आरक्षण के लिए कानून नहीं लाने, आरक्षित सरकारी सीटों को नहीं भरने, दलितों की शिकायत प्रशासन द्वारा नहीं सुनने और एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करना शामिल है.
2019 लोकसभा चुनाव से पहले दलित सांसदों के इन आरोपों ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है. यही वजह है खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्र के वरिष्ठ मंत्रियों को बार-बार 'दलित हितैषी' बताना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल को कहा था कि बीजेपी को ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी कहा जाता था लेकिन पहली बार अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने का मौका मिलते ही पार्टी ने एक दलित को देश का राष्ट्रपति बनाया. विपक्ष को यह नहीं भा रहा कि बीजेपी अब गरीबों की पार्टी बन गई है. वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा है कि बीजेपी न आरक्षण खत्म करेगी और न ही किसी पार्टी को आरक्षण खत्म करने देगी. ध्यान रहे की बीजेपी के कई नेता आरक्षण खत्म करने की वकालत कर चुके हैं.
सरकार की सफाई
वहीं को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 2 अप्रैल को हुए दलित आंदोलन और उसमें हुई हिंसा पर कहा कि बाबा साहेब अंबडकर ने कहा था कि दलित आन्दोलन ना कभी हिंसक होना चाहिए और ना ही कभी होगा. दलितों के अधिकारों का सशक्तिकरण होना चाहिए लेकिन इसका माध्यम हिंसा नहीं हो सकती.
प्रेस कांफ्रेंस में रविशंकर प्रसाद के साथ दलित वर्ग से आने वाले मंत्री थावर चंद गहलोत भी मौजूद थे. उन्होंने भी मोदी सरकार के कार्यकाल में दलित हित में हुए कामकाज गिनाए. गहलोत ने कहा, ''देश में पीएम मोदी के बढ़ते जनसमर्थन से घबराकर विपक्ष द्वारा देश में कटुता, जातिवाद, सम्प्रदायवाद और भाषावाद का माहौल फैलाया जा रहा.''
दलितों के खिलाफ हिंसा के विरोध में सोमवार को राजघाट पर राहुल गांधी के उपवास और उनके बयानों पर केंद्रीय कानून मंत्री कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''मोदी सरकार एससी/एसटी एक्ट को मजबूत और प्रभावी बनाने का काम कर रही है और राहुल गांधी सिर्फ और सिर्फ झूठ बोलने के काम कर रहें है.''
राहुल का वार
कर्नाटक दौरे पर गये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज दलित अत्याचार को लेकर सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वह दलित हिंसा पर चुप्पी साधे बैठे हैं. उन्हें (पीएम) लगता है कि सिर्फ भीम राव अंबेडकर के सामने नमस्कार करना ही दलितों का सम्मान है.
मायावती ने बताया 'नाटक'
बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भी आज उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में आज इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं. दलितों को हिंसा के बाद झूठे केस में फंसाया जा रहा है.
उन्होंने उदित राज समेत पांच सांसदों के बागी तेवर को नाटकबाजी करार दिया. मायावती ने कहा, ''कुछ दलित सांसदों ने बीजेपी द्वारा किए जा रहे जातिवादी व्यवहार और दलितों पर हो रहे हमलों को लेकर की जा रही बयानबाजी सिर्फ कोरी राजनीति और नाटकबाजी है.''
वो सांसद जिन्होंने अपनी ही सरकार को घेरा उत्तर पश्चिम दिल्ली से बीजेपी सांसद और पार्टी के दलित चेहरों में में से एक उदित राज ने रविवार को एक के बाद एक ट्विट में कहा कि दो अप्रैल (भारत बंद) के बाद दलितों का देशभर में टॉर्चर हो रहा है, बाडमेर, जालौर, जयपुर, ग्वालियर, मेरठ, बुलंदशहर, करौली समेत कई जगहों पर ऐसा हो रहा है. पुलिस भी उन लोगों को पीट रही है, फर्जी केस लगा रही है. उदित राज ने जिन जगहों का जिक्र किया है. इन राज्यों में बीजेपी सत्तारूढ़ है.
इससे पहले शनिवार को उत्तर प्रदेश के नगीना से बीजेपी सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने पीएम मोदी के चिट्ठी लिखकर कहा है कि आपके राज में दलितों के लिए एक भी काम नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण और न्याय व्यवस्था में दलितों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
यूपी के बहराइच से बीजेपी के दलित सांसद सावित्री बाई फूले ने पिछले दिनों 'भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली का आयोजन' कर सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने कहा संविधान और आरक्षण खतरे में है. यदि शासक वर्ग ने भारत के संविधान को बदलने और हमारे आरक्षण को खत्म करने का दुस्साहस किया तो भारत की धरती पर खून की नदियां बहेंगी.
यूपी के ही रॉबर्ट्सगंज के एमपी छोटेलाल खरवार ने कहा कि डीएम से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक कोई भी उनकी नहीं सुन रहा है. वहीं इटावा से बीजेपी के लोकसभा सांसद अशोक दोहरे ने कहा कि वह पीएम मोदी को चिट्ठी लिख कर अपनी चिंता जता चुके हैं. लेकिन कोई उनकी नहीं सुन रहा है.
ऐसे में सवाल उठता है कि ये सांसद क्यों अपनी ही सरकार को दलितों के मसले पर घेर रहे हैं? दरअसल, बीजेपी की छवि स्वर्ण की पार्टी की तरह रही है. ऐसे में हाल ही में हुए दलित आंदोलनों के बाद पार्टी नेता आगामी चुनावों में होने वाले नफा-नुकसान को भी देख नई राजनीतिक जमीन भी तलाश रहे हैं.