नई दिल्ली: पीएम मोदी ने संसद में कागज फाड़ने और विधेयकों के पारित किए जाने के तौर तरीकों पर 'आपत्तिजनक' टिप्पणियां करने के लिए विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि अपने आचरण से वह विधायिका और संविधान का अपमान कर रहे हैं. बीजेपी संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्षी सदस्यों का आचरण और उनका व्यवहार जनता का भी अपमान है.


अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा कोटा योजना में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) छात्रों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने के लिए बैठक में प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया गया.


बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "कल तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने ट्वीट किया था. प्रधानमंत्री ने इसे जनता का अपमान बताया और कहा कि जनता ही सांसदों को चुनती है. प्रधानमंत्री ने इस बयान पर नाराजगी जताई...पापड़ी-चाट बनाने की बात करना अपमानजनक बयान है. कागज छीन लेना और उसके टुकड़े कर फेंकना और माफी भी ना मांगना उनके अहंकार को दर्शाता है."


आखिर क्या है मामला
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने सरकार पर जल्दबाजी में विधेयकों को पारित कराने का आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया था कि 7-7 मिनट में एक विधेयक पारित कराया गया. ओ’ब्रायन ने एक ट्वीट में कहा था, "पहले 10 दिनों में संसद में कमाल! मोदी-शाह ने 12 विधेयक पारित कराए और इसका औसत समय सात मिनट प्रति विधेयक है. विधेयक पारित करा रहे हैं या पापड़ी चाट बना रहे हैं."


तृणमूल कांग्रेस के ही सदस्य शांतनु सेन ने पिछले दिनों सूचना संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से पेगासस मुद्दे पर बयान की प्रति छीन ली थी और उसे हवा में लहरा दिया था. बाद में सेन को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था. पिछले दिनों ऐसी ही एक घटना लोकसभा में हुई थी.


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