किसानों और सरकार से बातचीत के बीच विपक्ष से निपटने की बीजेपी की तैयारी, जानें क्या है प्लान
नए कृषि कानून का फायदा बताने के लिए 100 से भी अधिक किसान पंचायतें लगाई जाएंगी. इस दौरान किसानों के साथ बीजेपी के नेता चाय पर चर्चा करेंगे. अखबारों के लिए लेख लिखे जाएंगे.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बीजेपी ने देश भर में अभियान शुरू कर दिया है. कृषि क़ानून का फ़ायदा बताने के लिए सौ से भी अधिक किसान पंचायतें लगाई जायेंगी. इन चौपालों में मोदी सरकार के कृषि क़ानून से होने वाले लाभ के बारे मे बताया जाएगा. इलाक़े के बीजेपी नेता चाय पर किसानों संग चर्चा करेंगे.
पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ बड़े बड़े केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री पहले से ही ये सब बताते रहे हैं. लेकिन अब पारी ग्राउंड पर जाकर किसानों के साथ संवाद की है. नए क़ानून को लेकर जो किसानों के मन में जो आशंकायें हैं, उन्हें बीजेपी के नेता दूर करेंगे. किसान चौपाल का यही एजेंडा रहेगा. 14 से 16 दिसंबर तक किसान सम्मेलन का कार्यक्रम है.
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि एसएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी. तीनों नए क़ानून से किसानों को फ़ायदा ही होगा. अब यही बात और क़ानून की बारीकियों के बारे में बताने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की क्लास हो रही है. वीडियो कांफ्रेंस से राज्य स्तर के प्रवक्ताओं को भी ये सब समझाया जा रहा है. विपक्ष के आरोपों का किस तरह से जवाब दें ये भी समझाया जा रहा है. ज़िला स्तर के बीजेपी प्रवक्ताओं को सबसे आख़िर में क़ानून के बारे में समझाया जाएगा. फिर राज्य की राजधानी से लेकर ज़िलों में प्रेस कांफ्रेंस कर कृषि सुधार क़ानून से होने वाले लाभ के बारे में बताने की योजना है. अख़बारों के लिए लेख लिखे जायेंगे. कृषि क़ानून के फ़ायदे वाली किताबें किसानों के बीच बांटे जाने की भी योजना है.
बीजेपी ने विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए ज़बरदस्त तैयारी की है. सारा ज़ोर इस बात पर है कि मोदी सरकार की लोकप्रियता से घबराया विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. इसीलिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने देश भर में जनजागरण अभियान शुरू किया है. पार्टी के महासचिव अरुण सिंह ने सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को कार्यक्रम के बारे में चिट्ठी लिखी है. जिसकी कॉपी एबीपी न्यूज़ के पास भी है. बीजेपी 16 दिसंबर तक सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चलाएगी. व्हाट्सएप, ट्विटर, फ़ेसबुक पर मुहिम चलाया जाएगा. कृषि क़ानून के फ़ायदे बताये और दिखाये जाएंगे. डिबेट होगा.
बीजेपी ने सहकारिता संगठनों और डेयरी संघों से भी जुड़ने का फ़ैसला किया है. को-ऑपरेटिव बॉडी से जुड़े लोगों से कृषि क़ानून को लेकर संवाद होगा. बीजेपी की तैयारी से लगता है कि मोदी सरकार अपने फ़ैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है. एक तरफ़ सरकार आंदोलनकारी किसानों से बातचीत कर रही है तो दूसरी ओर उसने विपक्ष से निपटने की रणनीति भी बनाई है.