नई दिल्ली: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 13 जून को पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ ही प्रदेश इकाइयों के अध्यक्षों और महासचिवों (संगठन) की बैठक करेंगे. इससे संगठनात्मक चुनाव की कवायद शुरू होगी जो उनके उत्तराधिकारी के चुनाव के साथ खत्म हो सकती है. बीजेपी में अध्यक्ष के बाद सबसे अहम पद संगठन महासचिव का होता है. राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तरों पर भी यही व्यवस्था है.


पार्टी के एक नेता ने बताया कि संगठनात्मक बैठक 14 जून को भी जारी रह सकती है. शाह का पार्टी प्रमुख के तौर पर तीन साल का कार्यकाल इस साल के शुरू में खत्म हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें पद पर बने रहने के लिए कहा गया था और पार्टी ने संगठनात्मक चुनावों को टाल दिया था. पार्टी ने हालिया आम चुनाव में लोकसभा की 543 में से 303 सीटें हासिल की हैं. मगर शाह इसके बाद भी चैन से नहीं बैठे और तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए संगठन तैयार करने और पार्टी के आंतरिक चुनावों के लिए जमीनी कार्य करने में जुट गए हैं.


शाह ने रविवार को महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा इकाइयों की पार्टी के कोर समूहों की अलग अलग बैठक की थी और इन राज्यों में बीजेपी की रणनीति पर चर्चा की थी. पार्टी नेता ने कहा कि संगठनात्मक चुनाव की कवायद पूरा होने में तीन-चार महीने लग सकते हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष तभी चुना जा सकता है जब कम से कम 50 फीसदी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव पूरे हो जाएं. पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष परंपरागत तौर पर आम सहमति से चुना जाता है.


प्रधानमंत्री द्वारा शाह को गृह मंत्री बनाने के साथ ही, पार्टी में इस तरह के कयास थे कि वह पार्टी प्रमुख पद पर नहीं रहेंगे. बहरहाल, पार्टी ने शाह के संभावित कदम पर औपचारिक टिप्पणी करने से परहेज किया. पार्टी में शीर्ष पद के दावेदार के तौर पर संगठन के प्रमुख नेता जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव को देखा जा रहा है.


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