नई दिल्ली: यूपीए सरकार के दौरान प्लानिंग कमीशन के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बयान के बाद अब सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या वाकई में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल गांधी द्वारा उनकी सरकार के अध्यादेश को प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच फाड़ने के बाद इस्तीफा देने का मन बनाया था. मोंटेक सिंह अहलूवालिया के इस बयान के बाद अब बीजेपी ने गांधी परिवार पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री का पद भी गांधी परिवार से ऊपर नहीं हो सकता. बीजेपी ने कहा है कि इसी वजह से राहुल गांधी के द्वारा अध्यादेश फाड़ने के बाद भी मनमोहन सिंह आवाज नहीं उठा सके थे.
अगर मनमोहन इस्तीफा देते तो राहुल गांधी को माफी मांगनी पड़ती- जीवीएल
जीवीएल ने मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह भले उस दौरान देश के प्रधानमंत्री थे लेकिन जो फैसले लिए जाते थे वह गांधी परिवार की मर्जी से लिए जाते थे.. इसी वजह से जब राहुल गांधी ने कैबिनेट द्वारा पास किए गए अध्यादेश को फाड़ा तो वह खुलकर सामने नहीं आए. जीवीएल ने कहा कि अगर मनमोहन सिंह उस दौरान खुल कर सामने आते हैं और अपने इस्तीफे की पेशकश करते हैं तो राहुल गांधी को माफी तक मांगी पढ़ सकती थी लेकिन ऐसा किया नहीं गया क्योंकि वह राहुल गांधी परिवार से आते हैं.
पद के लालच में करवाया प्रधानमंत्री पद का अपमान
जीवीएल ने इसके साथ मोंटेक सिंह अहलूवालिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने तब मनमोहन सिंह को इस्तीफा ना देने की सलाह इस वजह से भी दी होगी जिससे कि वह भी अपने पद पर बने रहें.
अध्यादेश फाड़ने के राहुल के कदम से मनमोहन थे व्यथित
गौरतलब है की प्लानिंग कमीशन के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अपने एक बयान में कहा था कि जब राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को मीडिया के सामने लाकर फाड़ा उस दौरान डॉ मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया न्यूयॉर्क दौरे पर थे. जब मनमोहन सिंह को जानकारी मिली तो वह व्यथित हो गए थे और उन्होंने मोंटेक सिंह अहलूवालिया से सलाह मांगी थी कि क्या उनको अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए जिस पर आहलूवालिया ने उनको इस्तीफा ना देने की सलाह दी थी.