Presidential Election: राष्ट्रपति चुनाव में भी BJP का माइक्रो मैनेजमेंट, वोटिंग के आखिरी समय तक रही नजर
Presidential Election 2022: माना जा रहा है कि तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआएस के तीन विधायकों और दो सांसदों ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया.
Droupadi Murmu vs Yashwant Sinha: भारत के नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव (Presidential Election) की कवायद 18 जुलाई की शाम करीब 5 बजे खत्म हो गई. मतदान के पहले भी और बाद में भी आंकड़ों से उभरी तस्वीर में द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) की जीत तय मानी जा रही है. हालांकि संख्याबल के बावजूद संसद भवन से लेकर विभन्न राज्यों की विधानसभाओं में हुई इस वोटिंग के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) ने मिशन मोड में प्रबंधन किया था.
यही वजह है कि संसद भवन में हुए मतदान के लिए कोरोना संक्रमण के बावजूद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और ऊर्जा मंत्री आरके सिंह पीपीई किट पहन कर मतदान करने पहुंचे थे. इतना ही नहीं बीजेपी ने अपने सभी सांसदों से सबसे पहले कतार में लगने और मतदान करने को भी कहा था. सूत्रों के मुताबिक, यह पहले से प्लान किया गया था कि प्रधानमंत्री के वोट डालने से पहले पार्टी सांसद कतार में रहें. साथ ही यह फ्लोर प्रबंधन का हिस्सा भी था ताकि प्रधानमंत्री के मतदान के वक्त मतदान कतार में लगकर विपक्ष के सांसद कोई हंगामा न खड़ा करें.
बीजेपी के दो सांसद नहीं कर पाए वोट
चुनावी माइक्रो मैनेजमेंट का ही असर था कि बीजेपी के संसद में मौजूद 394 सांसदों में से 392 ने वोट डाला. वोट न डालने वाले दो सांसदों में एक नाम संजय धोत्रे का है जो गंभीर रूप से बीमार हैं और आईसीयू में हैं. वहीं सिने स्टार और गुरुदासपुर से सांसद सनी देओल जरूरी काम के सिलसिले में विदेश में हैं.
पिछले राष्ट्रपति चुनाव के अनुभवों से सबक लेते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने सांसदों और विधायकों के वोट अमान्य न हों इसकी ट्रेनिंग पर खासा जोर दिया था. पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 17 सांसदों के वोट अमान्य हो गए थे. लिहाजा सभी सांसदों और विधायकों को विधायी दल की तरफ से बाकायदा प्रेजेंटेशन और वर्कशॉप के जरिए प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी गई.
विपक्षी खेमे में सेंधमारी का भी प्लान
साथ ही अधिक से अधिक वोट हासिल करने के लिए अपने वोट संभालने और विपक्षी खेमे में सेंधमारी का भी प्लान बनाया गया. सूत्रों की मानें तो तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआएस के तीन विधायकों और दो सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया.
इसके अलावा उड़ीसा और असम के कांग्रेस विधायकों ने भी मुर्मू को वोट दिया. राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के साथ यह तस्वीर और भी साफ हो जाएगी कि कितने सांसदों और विधायकों ने अपनी पार्टी के समर्थन वाले उम्मीदवार की बजाए दूसरे खेमे में मौजूद प्रत्याशी को वोट दिया है.
आखिरी वोट तक संसद भवन में रुके जेपी नड्डा
राष्ट्रपति चुनाव में चूंकि पार्टी का व्हिप नहीं होता, लिहाजा सांसद और विधायक अपनी मनमर्जी से वोट डालने को स्वतंत्र होते हैं. साल 2017 में विपक्ष के करीब 116 जनप्रतिनिधियों ने एनडीए को राष्ट्रपति पद उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट दिया था.
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda), केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और पार्टी के अन्य आला नेता संसद और विधानसभाओं में वोटिंग का आखिरी समय सीमा तक अपडेट लेते रहे. नड्डा संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का आखिरी वोट डाले जाने के बाद ही संसद भवन से रवाना हुए.