क्या मोदी-शाह की बीजेपी में पार्टी के पुराने और दिग्गज नेताओं के लिए अवसर कम हो गए हैं?
बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीनियर नेताओं को नजरअंदाज कर नए चेहरों को मुख्यमंत्री पद दिया है. इसको लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के लिए अवसर कम हो गए हैं?
BJP Senior Leaders Opportunities: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मुख्यमंत्री पद के लिए तीन नए चेहरों का ऐलान किया है. तीनों राज्यों में पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा था. इसके अलावा कई दिग्गज नेता भी सीएम पद की रेस में शामिल थे. हालांकि, पार्टी ने नए चेहरों को मौका देकर सबको चौंका दिया.
इस बीच सवाल उठ रहा है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कारण बीजेपी में पुराने और दिग्गज नेताओं के लिए मौके कम हो गए हैं? जिस तरह से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीनियर नेताओं के साइडलाइन किया गया है, उसे देखकर तो कम से कम यही लगता है.
राजस्थान में निपटे बड़े चेहरे
राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे आलाकमान की पसंद नहीं थीं. साथ ही उनकी पैठ आरएसएस के साथ भी नहीं है. उन्हें चुनाव से पहले ही साइडलाइन कर दिया गया था. बीजेपी ने वसुंधरा राजे के सामने स्पीकर बनाने का प्रस्ताव रखा था.
वहीं, मुख्यमंत्री पद की एक ओर उम्मीदवार दीया कुमारी को पार्टी ने डिप्टी सीएम का पद दे दिया. इसके अलावा राजस्थान में सीएम की रेस में ओम बिड़ला का नाम भी शामिल था, लेकिन वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष हैं. ऐसे में उनकी दावेदारी कमजोर रह गई. मुख्यमंत्री के लिए महंत बालकनाथ का नाम भी शामिल था, लेकिन वह भी सीएम की रेस में पिछड़ गए.
मध्य प्रदेश में दूसरी पंक्ति के नेता की नहीं हुई ताजपोशी
एमपी में बीजेपी के लिए शिवराज को साइडलाइन करना इतना आसान नहीं था. बीजेपी ने उन्हें पूरे चुनाव अभियान में पार्टी ने उन्हें हाशिए पर रखा हुआ था. यहां तक उन्हें टिकट भी काफी देर से दिया गया था.
नरेंद्र सिंह तोमर के चुनाव लड़ने की जब घोषणा हुई, तब ये माना जाने लगा था कि उन्हें मुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है. हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान उनके बेटे देवेंद्र सिंह का एक कथित वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो पैसे के लिए डील कर रहे थे. इसके चलते बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का जोखिम नहीं उठाया.
मध्य प्रदेश में सीएम पद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रह्लाद सिंह पटेल का नाम भी सामने आ रहा था. हालांकि, वह इस रेस में ज्यादा आगे नहीं बढ़ सके. कैलाश विजयवर्गीय भी इस मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थे, लेकिन ओबीसी समुदाय से नहीं आते थे. इसलिए वह भी रेस में पीछे रह गए.
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को स्पीकर बनाकर दिया सम्मान
वहीं, छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रमन सिंह को नजरअंदाज कर दिया था. राज्य में टिकट बंटवारे का फैसला केंद्रीय नेतृत्व का था. इसमें रमन सिंह की कोई भूमिका नहीं रही. उन्हें आखिरकरा विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर सम्मान सहित हाशिए पर भेज दिया गया. इसके अलावा अरुण साव को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया.
मुख्यमंत्री पद पर नए चेहरों का ऐलान
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की जगह विष्णु देव साय, एमपी में शिवराज सिंह चौहान की स्थान पर मोहन यादव को सीएम बनाया. वहीं, राजस्थान में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री न बनाकर भजनलाल शर्मा को सूबे की सत्ता सौंपने की घोषणा कर दी.
दिग्गज नेताओं को डिप्टी सीएम के पद से भी रखा दूर
इतना ही नहीं पार्टी ने तीनों प्रदेशों में उपमुख्यमंत्री के पद पर भी नए चेहरों पर विश्वास जताया और कई दिग्गजों को दरकिनार कर दिया. राजस्थान में पार्टी ने डिप्टी सीएम पद दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को देने की घोषणा की है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गजों को छोड़ कर मोहन यादव को सीएम बनाया. वहीं, उपमुख्यंमत्री पद के लिए राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को चुना. वैसे देवड़ शिवराज सरकार में मंत्री रहे थे, जबकि राजेंद्र शुक्ला भी उमा भारती सरकार में मंत्री बने थे.
छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे. हालांकि पार्टी ने विष्णुदेव साय पर भरोसा जताया. रमन सिंह अब विधानसभा में स्पीकर की भूमिका निभाएंगे. वहीं, अरुण साव और विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.
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