BJP on Hamid Ansari: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की ओरे से दिए गए बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध की ‘‘सनक’’ अब भारत विरोध में तब्दील हो गई है. वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अंसारी का बयान गलत है. पड़ोसी देश के अल्पसंख्यक भारत में शरण लेते हैं, क्योंकि ये सुरक्षित है.


किरेन रिजिजू ने क्या कहा?


केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट करके कहा, ‘’हामिद अंसारी जी ने जो कहा वह गलत है. मैं एक अल्पसंख्यक समुदाय से हूं और मैं गर्व से कह सकता हूं कि भारत सबसे सुरक्षित राष्ट्र है. हमारे किसी भी पड़ोसी देश में परेशानी का सामना कर रहे अल्पसंख्यक भारत में शरण लेना पसंद करते हैं, क्योंकि भारत सुरक्षित है. आइए अपने महान राष्ट्र के आभारी रहें.’’






मुख्तार अब्बास नकवी भी खूब बरसे


वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘’जब देश गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा था और श्रीनगर के लाल चौक पर झंडा फहराया जा रहा था, उस समय देश के संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति की ओर से देश की छवि को लगातार खराब करने की कोशिश की गई. वह भी एक ऐसे मंच से, जिसने पूरी दुनिया में भारत को बदनाम करने की साजिश का बीड़ा उठा रखा है.


नकवी ने कहा, ‘‘वहां पर भारत में असहिष्णुता की बात कही जा रही थी. भारत के राष्ट्रवाद पर सवाल खड़े किए गए. यह वह संस्था है, जिसका संबंध आईएसआई के साथ है. उसका संबंध ऐसे तमाम संगठनों के साथ है, जो पूरी दुनिया में शांति और सौहार्द को छिन्न-भिन्न करने की कोशिश और षड्यंत्र में लगे रहते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत विरोधी ब्रिगेड की. मोदी विरोधी सनक अब भारत विरोध की हद तक पहुंच चुकी है.’’


नकवी ने कहा कि भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है, हमारी संवैधानिक प्रतिबद्धता है और जो लोग इससे अनभिज्ञ हैं, मोदी विरोध के लिए भारत विरोध की पराकाष्ठा तक पहुंच गए हैं. अंसारी के बयान की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान में हिंदू धर्म का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बन सकता है. हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पंथनिरपेक्षता की गारंटी है, सहिष्णुता हमारा संस्कार है, हमारी संस्कृति है. इसके लिए हमें किसी से प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है.


अंसारी ने क्या कहा था?


‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ की ओर से डिजिटल तरीके से आयोजित एक पैनल चर्चा में अंसारी ने कहा था कि हाल के सालों में उन्होंने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नयी एवं काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं. उन्होंने आगे कहा था, ‘‘वह नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं, असहिष्णुता को हवा देती हैं और अशांति और असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं.’’


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