जम्मू: जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की तीन साल तक चली सरकार गिर चुकी है. कल बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कल राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. राज्य में आज राज्यपाल शासन को मंजूरी मिल गई है. समर्थन वापसी को लेकर बीजेपी ने कहा है कि राज्य सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, इसलिए सरकार गिराने की मजबूरी थी.


घाटी में बुरे हालात के लिए बीजेपी ने पीडीपी पर ठीकरा फोड़ा


कश्मीर घाटी के हालात में सुधार नहीं होने के लिए बीजेपी ने पीडीपी पर ठीकरा फोड़ा. बीजेपी महासचिव राम माधव ने पिछले हफ्ते श्रीनगर के कड़ी सुरक्षा वाले प्रेस एनक्लेव इलाके में जानेमाने पत्रकार शुजात बुखारी की अज्ञात हमलावरों की तरफ से की गई हत्या का भी जिक्र किया. उसी दिन ईद की छुट्टियों पर जा रहे थलसेना के जवान औरंगजेब को अगवा कर लिया गया था और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी. ये दोनों घटनाएं ईद से दो दिन पहले हुईं.


राज्य में मौजूदा हालात पर काबू पाना है- बीजेपी


राम माधव ने कहा, ‘‘यह ध्यान में रखते हुए कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और राज्य में मौजूदा हालात पर काबू पाना है, हमने फैसला किया है कि राज्य में सत्ता की कमान राज्यपाल को सौंप दी जाए.’’ एलान से पहले पार्टी आलाकमान ने जम्मू-कश्मीर सरकार में अपने मंत्रियों को आपातकालीन विचार-विमर्श के लिए नई दिल्ली बुलाया था.


राज्य में नहीं चलेगी सख्ती- महबूबा


मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद अपने आवास पर मंत्रियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चली एक घंटे लंबी बैठक के बाद महबूबा ने कहा, ‘‘ मैं हैरान नहीं हूं, क्योंकि यह गठबंधन कभी सत्ता के लिए था ही नहीं. पीडीपी कभी सत्ता की राजनीति में यकीन नहीं रखती और हमने लोगों के लिए काम किया है.’’  उन्होंने कहा, ‘’जम्मू-कश्मीर में किसी तरह की सख्ती कभी नहीं चलेगी. जम्मू-कश्मीर कोई दुश्मन क्षेत्र नहीं है, जैसा कि कुछ लोग मानते हैं. हमने हमेशा कहा है कि बाहुबल वाली सुरक्षा नीति जम्मू-कश्मीर में नहीं चलेगी. मेल-मिलाप से काम लेना होगा.’’


राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजी सिफारिश


श्रीनगर में राज भवन के प्रवक्ता के मुताबिक, राज्यपाल एन एन वोहरा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय शासन लागू करने की सिफारिश की है. रिपोर्ट की एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी गई है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति कोविंद अभी आधिकारिक विदेश यात्रा पर हैं.


महबूबा सरकार से समर्थन लेने की वजहें क्या हैं?


पहली वजह- एक महीने पहले महबूबा मुफ्ती को हालात खराब होने को लेकर चेतवानी दी गई थी.


दूसरी वजह- शहीद जवान औरंगजेब के हत्यारों को लेकर सेना के पास खास इनपुट्स थे, सेना ऑपरेशन चलाना चाहती थी, लेकिन महबूब मुफ़्ती तैयार नही हुईं.


तीसरी वजह- पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या को लेकर भी सुरक्षा एजेंसियां स्थानीय इलाके में सर्च ऑपरेशन करना चाहती थी, लेकिन इसकी इजाज़त महबूबा मुफ़्ती ने नहीं दी थी.


चौथी वजह- आईबी के साथ सूचनाएं शेयर करना महबूबा सरकार ने बंद कर दिया था, मांगने पर भी सीमित सूचनाएं ही दी जा रही थी.


साल 2015 में हुए थे राज्य में चुनाव


राज्य में 87 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2015 में हुए चुनाव में बीजेपी को 25, पीडीपी को 28, नेशनल कांफ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 और अन्य को सात सीटें मिली थीं. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 44 सीटें चाहिए. गठबंधन टूटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए ये विकल्प हैं-




  1. महबूबा मुफ्ती किसी और पार्टी के साथ सरकार बनाएं ये एक विकल्प हो सकता है. उनकी 28 सीटों वाली पीडीपी, 12 सीटों वाली कांग्रेस और अन्य सात के साथ मिलकर 47 सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करे.

  2. दूसरा विकल्प ये है कि 25 सीटों वाली पार्टी बीजेपी, 15 सीटों वाली उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और सात अन्य सीटों के साथ मिलकर 47 सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करे.

  3. एक विकल्प ये भी है कि केंद्र राज्यपाल शासन लगाए और राज्यपाल वहां पर शासन चलाएं.


चार अप्रैल 2016 को मुख्यमंत्री बनी थीं महबूबा

आपको बता दें कि राज्य में यदि राज्यपाल शासन लगाया गया तो यह 2008 के बाद चौथा और 1977 के बाद आठवां मौका होगा जब राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया जाएगा. महबूबा ने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद चार अप्रैल 2016 को मुख्यमंत्री पद संभाला था.


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