नई दिल्लीः दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने 9 मार्च को दिल्ली का आगामी वित्त वर्ष बजट (2021-22) पेश किया. मनीष सिसोदिया की यह दिल्ली के 7वें बजट की पेशी थी. इस साल 69 हजार करोड़ का बजट पेश करते हुए मनीष सिसोदिया ने दावा किया कि कैसे इसे देशभक्ति का बजट कहा जायेगा. बजट सामने आने के बाद से ही केजरीवाल सरकार कई सवालों के घेरे में आ गई है.


सरकार पर लगाये आरोप


विपक्षी दल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि अरविन्द केजरीवाल की सरकार बजट का उपयोग दिल्ली के विकास के लिये नहीं, केवल अपना चुनावी गणित साधने के लिये फ्री योजनाओं पर करती है जिसका परिणाम है दिल्ली में विकास ठप्प हो चुका है.


आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के बजट को छलावा करार कर दिया. उन्होंने कहा, "जिस तरह बजट 2021-22 दिल्ली की वर्तमान और अल्प अवधि विकास आवश्यकताओं पर मौन है और 2047 को लेकर दिल्ली वालों को सपने बेच रहा है यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अरविन्द केजरीवाल सपनों के सौदागर हैं."


प्रदूषण पर कोई ठोस योजना नहीं


बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "यह देश के किसी भी राज्य का पहला बजट होगा जिसमें सरकार ने 26 साल बाद की दिल्ली की कल्पना तो की है पर वर्तमान में प्रदूषण और परिवहन की बिगड़ती स्थिति पर कोई ठोस योजना नहीं रखी है. आज का बजट प्रस्तुत करते हुये दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने 2047 तक दिल्ली को सिंगापुर जैसा बनाने का दावा किया है, दिल्ली में ओलम्पिक खेल कराने की कल्पना की है जो कि हास्यास्पद लगता है, क्योंकि यहीं सरकार अभी कुछ दिन पहले तक दिल्ली को लंदन जैसा, यमुना को थेम्स जैसा बनाने की बात कहती थी पर आज नये सपने बेचने लगी."


पिछले कई सालों से प्रदूषण की समस्या से जूझ रही दिल्ली में वर्तमान में कोई स्थायी समाधान न लाने पर भी आदेश गुप्ता ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि "प्रदूषण दिल्ली की एक बड़ी समस्या है पर यह आश्चर्य का विषय है कि दिल्ली बजट 2021-22 में इसके लिये कोई कार्य योजना प्रस्तुत नहीं की गई है. बजट प्रावधानों के साथ ही सरकार पर हर वर्ष सैकड़ों करोड़ रूपये प्रदूषण सेस का पैसा आता है फिर भी सरकार के पास वायु प्रदूषण पर कोई कार्य योजना न होने से आश्चर्य होता है. इसी तरह सरकार हर वर्ष बजट में यमुना सफाई की बात करती है, बजट आवंटित करती है पर असल में आज यमुना पहले से भी गंदी है ऐसे में सरकार का इस पर अब बोलना अविश्वसनीय लगता है."


आंकड़ों से सरकार को घेरा


आंकड़ों का सहारा लेते हुए दिल्ली बीजेपी ने अपने अन्य आरोपों को ठोस करने का प्रयास किया. प्रेस को सम्बोधित करते हुए आदेश गुप्ता ने कहा कि 2015-16 में सरकार ने 41 हजार 129 करोड़ रूपये का बजट प्रस्तुत किया. जिसमें से 14.4 प्रतिशत बजट खर्च ही नहीं किया. 2016-17 में 46600 करोड़ रूपये का बजट लाई, जिसका 20 प्रतिशत खर्च नहीं किया. 2017-18 में 48 हजार करोड़ रूपये का बजट प्रस्तुत किया, जिसका 14.7 प्रतिशत खर्च नहीं हुआ. 2018-19 में 53000 करोड़ रूपये का आया, जिसका 12.7 प्रतिशत तो 2019-20 में 60000 करोड़ रूपये का बजट आया, जिसका 14.7 प्रतिशत खर्च ही नहीं किया. कोविड 19 के संकट काल के बावजूद वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 के 65 हडार करोड़ रूपये के बजट में से लगभग 9.23 प्रतिशत रूपये लैप्स होने जा रहा है.


दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और शिक्षा सम्बन्धी दावों पर भी निशाना साधते हुए गुप्ता ने कहा की आम आदमी पार्टी 2015 में जब सत्ता में आई तो दिल्ली में 94 अस्पताल कार्यरत थे जो आज घटकर 88 अस्पताल रह गये हैं. 2015 में दिल्ली में 265 महिला प्रसूति गृह थे जो आज घटकर 224 रह गये हैं. 2015-16 में दिल्ली का 35 प्रतिशत तो 2019-20 में 37 प्रतिशत स्वास्थ्य बजट खर्च ही नहीं किया.


सपने बेच रही है सरकार


"केजरीवाल सरकार ने शिक्षा पर 16377 करोड़ रूपये आवंटित किये हैं. सरकार इसी तरह हर वर्ष शिक्षा पर नये-नये सपने बेचती है पर उसने गत 5 साल में दिल्ली को 5 नये स्कूल भी नहीं खोले और आज फिर 145 स्कूल आफ एक्सीलेंस खोलने के सपने बेच रही है. यह वह सरकार है जिसके कार्यकाल में हर वर्ष औसतन 20 प्रतिशत शिक्षा बजट खर्च ही नहीं होता. 2015-16 में दिल्ली सरकार ने 9836 करोड़ रूपये का शिक्षा बजट दिया जिसका 21 प्रतिशत खर्च नहीं किया तो 2019-20 में 15601 करोड़ रूपये आवंटित किये और उसमें से 19.4 प्रतिशत खर्च ही नहीं किये."


अनाधिकृत कॉलोनियों में पानी और सीवर पहुंचाने से लेकर, राजधानी में बसों की कमी और दिल्ली का सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने तक, इन सभी बातों का गलत या फिर बजट में कोई भी ज़िक्र न होने पर दिल्ली भाजपा ने सवाल उठाए.


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