लोकसभा में 242 सीटें जीतने वाली बीजेपी भले ही नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे सहयोगियों की बदौलत बहुमत के आंकड़े के पार है, लेकिन राज्यसभा में बीजेपी को बहुमत नहीं है. एनडीए के साथ भी बीजेपी बहुमत के आंकड़े से इतनी दूर है कि 22 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सेशन में बीजेपी को अपने मन का एक भी बिल पास करवाने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी. इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ लोकसभा चुनाव हैं, जहां बीजेपी ने अपने उन नेताओं को दुश्मन बना लिया है, जो कभी मुसीबत के वक्त राज्यसभा में दोस्त हुआ करते थे और जिनकी बदौलत बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर रहने के बावजूद अपनी मर्जी के बिल पास करवा लेती थी. 


राज्यसभा में सीटों का कुल आंकड़ा है 245 और मौजूदा सांसदों का आंकड़ा है 226. यानी कि 19 सीटें खाली हैं. इनमें से 11 सीटों पर चुनाव होना है, जो अलग-अलग राज्यों की हैं. बाकी बची 8 सीटों में से चार पर राष्ट्रपति को नॉमिनेट करना है और बची हुई चार सीटें जम्मू-कश्मीर की हैं. इस लिहाज से 226 सदस्यों वाली राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा है 114. बीजेपी के पास अपने हैं कुल 86. लोकसभा में जो पार्टियां बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही हैं, उनके भी राज्यसभा के सदस्यों को जोड़ दिया जाए तो राज्यसभा में एनडीए का आंकड़ा होता है 101. यानी कि एनडीए राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े से अभी 13 सीटें पीछे है.

अब अगर इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने पुराने दोस्तों को दुश्मन नहीं बनाया होता तो इन 13 की भरपाई तो बीजेपी आराम से कर लेती. बीजेपी के पुराने दोस्त रहे हैं नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी. ये दोनों एनडीए में नहीं थे, इसके बावजूद कम से कम राज्यसभा में तो बीजेपी के दोस्त हुआ करते थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर ओडिशा-आंध्रप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदल चुकी हैं. ओडिशा में बीजेपी ने उसी बीजू जनता दल और उसके मुखिया नवीन पटनायक को सत्ता से हटाया है, जिनकी मदद से वो राज्यसभा में अपने चहेते बिल पास करवाती रही है. आंध्र प्रदेश में भले ही बीजेपी ने सीधे तौर पर जगन मोहन रेड्डी को न हटाया हो, लेकिन हटना तो जगन मोहन रेड्डी को भी पड़ा है. उन्हें हटाया है बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी टीडीपी ने जिसके मुखिया चंद्रबाबू नायडू हैं. अब नायडू की पार्टी एनडीए का हिस्सा है और मोदी सरकार में उसके मंत्री भी हैं.

इस लिहाज से नवीन पटनायक के 9 राज्यसभा सांसद और जगन मोहन रेड्डी के 11 राज्यसभा सांसद कुल 20 राज्यसभा सांसद अब बीजेपी के साथ नहीं हैं. लिहाजा बीजेपी चाहे जितनी भी कोशिश करे, अभी तो उसके पास बहुमत जुटता हुआ नहीं दिख रहा है. बाकी 11 सीटों पर चुनाव होने हैं, तो इनमें कम से कम 6 सीटें बीजेपी आसानी से जीत जाएगी. बाकी के जो चार नॉमिनेशन होने हैं, वो भी बीजेपी के ही पक्ष में जाएंगे. ये सब होने के बाद भी बीजेपी बहुमत के आंकड़े से 3 सीटें तो पीछे ही रहेगी, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए भी बीजेपी को अभी इंतजार करना होगा, क्योंकि अभी तक न तो 11 सीटों पर चुनाव की कोई घोषणा हुई है और न ही वो तारीख आई है, जब खाली हुई चार सीटों पर राष्ट्रपति किसी को नॉमिनेट करें.

बीजेपी की इस कमजोरी का कांग्रेस को भी कोई फायदा नहीं होने वाला है क्योंकि कांग्रेस के पास राज्यसभा में अभी 26 सीटें ही हैं. अगर INDIA ब्लॉक के भी सभी साथियों की सीटें जोड़ दी जाएं तो ये आंकड़ा 90 को पार नहीं कर पा रहा है क्योंकि वो चाहे बीजू जनता दल हो या फिर वाईएसआरसीपी ये दोनों भले ही बीजेपी के खिलाफ हैं, लेकिन ये INDIA ब्लॉक का भी हिस्सा नहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस और उसका गठबंधन बीजेपी को राज्यसभा में रोक तो सकता है, लेकिन अपनी मर्जी के काम भी नहीं ही कर सकता है.

रही बात सीटें भरने के बाद की, तो चुनाव और नॉमिनेशन के बाद भी राज्यसभा का आंकड़ा 241 का ही होगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर के चार सांसद तो अभी चुने जाने से रहे. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 121 का हो जाएगा और तब 101 सीटों वाले एनडीए के पास 111 सीटें ही होंगी और तब भी बीजेपी वाला एनडीए बहुमत से 13 सीटें दूर ही रहेगा. तो देखते हैं कि 22 जुलाई से जो मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है, उसमें बीजेपी कौन-कौन से बिल लेकर आती है और उससे भी ज्यादा नजर इस बात पर रहेगी कि बीजेपी कौन-कौन से बिल पास करवा पाती है.


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