Fatawa Darul Uloom: अपने फतवों की वजह से चर्चा में रहने वाला उत्तर प्रदेश का देवबंद एक बार फिर फतवे को लेकर चर्चा में है. देश की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था कही जाने वाली दारुल उलूम देवबंद ने गजवा-ए-हिंद को मान्यता देने वाला फतवा जारी कर दिया. इस संस्था ने अपनी वेबसाइट के जरिए ये फतवा दिया. मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कड़ी आपत्ति जताई.


दरअसल, एक इंटरनेट यूजर ने दारुल उलूम देवबंद से गजवा-ए-हिंद को लेकर जानकारी मांगी थी. जिसमें पूछा गया कि क्या हदीस में इसका कोई जिक्र है? जिसके जवाब में देवबंद ने साहिहसीता की किताब सुन्नन अल नसाई का हवाला देते हुए कहा कि इस किताब में गजवा-ए-हिंद का पूरा चैप्टर है. फतवे में कहा गया कि पैगंबर मोहम्मद के करीबी रहे हजरत अबू हुरैरा ने एक हदीस सुनाई थी, इसमें उन्होंने गजवा-ए-हिंद पर कहा, “मैं लड़ूंगा और अपनी सभी संपदा को कुर्बान कर दूंगा. मर गया तो महा बलिदानी कहलाऊंगा और जिंदा रहा तो गाजी कहलाऊंगा.”


बीजेपी ने जताई कड़ी आपत्ति


दारुल उलूम देवबंद की ओर से गजवा-ए-हिंद को वैधता देने वाले फतवे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी ने कहा है कि भारत का तालिबानीकरण कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने दारुल उलूम देवबंद के फतवे को भारतीय संविधान विरोधी और पाकिस्तान परस्त बताते हुए कहा है कि इसका साफ संदेश है कि देवबंद को बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में विश्वास नहीं है, भारत के संविधान में विश्वास नहीं है.


‘पाकिस्तानी भाषा बोल रहा देवबंद’


उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि देवबंद पाकिस्तान परस्ती की भाषा बोल रहा है और भारत का तालिबानीकरण कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद एक मदरसा होने के साथ ही देश में मदरसों को संचालित करने वाली सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था है. इस विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था ने हाल ही में अपनी वेबसाइट के माध्यम से एक फतवा जारी कर गजवा-ए-हिंद को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध करार दे दिया है, इसकी काफी आलोचना की जा रही है.


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