तमिलनाडु में 'जय श्री राम' नहीं 'वेट्रिवेल मुरुगन' के सहारे BJP, क्या डीएमके के लिए बनेगी चुनौती?
Tamil Nadu Politics: भाजपा ने तमिलनाडु में 2026 विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति बदलते हुए "वेट्रिवेल मुरुगन" पर जोर दिया है ताकि वह राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान से जुड़ सकें.
Tamil Nadu Election 2026: भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु में अपनी राजनीति को नई दिशा देते हुए राज्य की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ने का प्रयास किया है. अब तक “जय श्री राम” जैसे पारंपरिक नारे की जगह पर भाजपा ने "वेट्रिवेल मुरुगन" पर ध्यान केंद्रित किया है. ये कदम आगामी 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. भाजपा की पहचान हमेशा उत्तर भारतीय दल के रूप में रही है, लेकिन अब पार्टी तमिलनाडु की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को अपनाकर राज्य में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है.
नवंबर 2020 में भाजपा के तत्कालीन राज्य अध्यक्ष एल मुरुगन ने “वेट्रिवेल यात्रा” की शुरुआत की थी जो राज्य में एक सांस्कृतिक और धार्मिक जागरूकता का प्रतीक बनी. अब भाजपा के मौजूदा प्रमुख क. अन्नामलाई ने 48 दिन की “मुरुगन दीक्षा” की शुरुआत की है. उन्होंने शपथ ली है कि जब तक तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार को उखाड़ नहीं फेंकेंगे तब तक वह जूते नहीं पहनेंगे. भगवान मुरुगन को तमिल संस्कृति में "तमिल देवता" माना जाता है और उनकी ये यात्रा राज्य में भाजपा के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है.
द्रविड़ राजनीति को चुनौती
भाजपा की “वेट्रिवेल मुरुगन” पहल को तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीति के खिलाफ एक सांस्कृतिक प्रतिवाद के रूप में देखा जा रहा है. खासकर सत्तारूढ़ डीएमके के खिलाफ भाजपा ने इस अभियान को तेज किया है. डीएमके ने भगवान मुरुगन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने की घोषणा की है जिससे यह साबित होता है कि भाजपा की रणनीति राज्य में सांस्कृतिक संघर्ष को हवा दे रही है. भाजपा इस पहल के जरिए तमिलनाडु की सांस्कृतिक धारा में हस्तक्षेप करना चाहती है और डीएमके की पकड़ को चुनौती दे रही है.
भाजपा की रणनीति: क्षेत्रीय और सांस्कृतिक पहचान पर फोकस
भाजपा की ये नई रणनीति यह दर्शाती है कि पार्टी अब उत्तर भारत में प्रचलित “जय श्री राम” जैसे नारों से अलग हटकर तमिलनाडु की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के साथ खुद को जोड़ने का प्रयास कर रही है. बीजेपी ने अपनी पहचान को राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ते हुए एक नया रुख अपनाया है जो पार्टी को तमिलनाडु की जनता से जोड़ने का एक प्रयास प्रतीत होता है.
2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी
तमिलनाडु में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं. भाजपा की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने में कितनी प्रभावी ढंग से समाहित हो पाती है. भाजपा के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है क्योंकि राज्य की पहचान से जुड़े मुद्दों पर जोर देने से पार्टी को तमिलनाडु में लोकप्रियता हासिल हो सकती है. हालांकि इसका असर चुनावी परिणामों पर किस हद तक पड़ेगा यह आने वाला समय ही बताएगा.
क्या भाजपा को मिलेगा मुरुगन का आशीर्वाद?
अब तक भाजपा की मुरुगन को भुनाने की कोशिशें चुनावी नतीजों में ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुई हैं. हालांकि द्रविड़ दलों से मुकाबला करने के लिए एक राजनीतिक आधार बनाने के नजरिए से "वेट्रिवेल मुरुगन" का अभियान भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकता है. 2026 के चुनाव भाजपा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष क. अन्नामलाई के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकते हैं. इस चुनावी लड़ाई में भाजपा को अपने बूते पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा और ये पार्टी के लिए “करो या मरो” की स्थिति हो सकती है.