दिल्ली एमसीडी चुनावों से ठीक पहले अब दिल्ली में भी गांवों के नाम बदलने की राजनीति शुरू हो गई है. दिल्ली बीजेपी राजधानी दिल्ली के 40 गांवों के नाम बदलना चाहती है. दिल्ली में 40 ऐसे गांव हैं जिनके बीजेपी नाम बदलना चाहती है. वह ऐसे गांवों के नाम का प्रस्ताव लेकर दिल्ली सरकार से मिलने जा रही है. इस विषय पर एबीपी न्यूज ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से बात की है.
सवाल: गांव के नाम बदलने से क्या होगा ? 15 साल से आप सत्ता में थे तब आपने नहीं किया तो अब क्यों कर रहे हैं?
प्रदेश गुप्ता: देखिए अच्छा काम जब भी किया जाए तो अच्छा है. हम इस साल से आजादी के 75 साल की वर्षगांठ मना रहे हैं ये हमने पहले तो नहीं मनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन काल में बहुत सारे काम हुए हैं, अगर हम कहें कि यह काम पहले क्यों नहीं हुए हैं, हम अच्छे काम की शुरुआत क्यों नहीं कर सकते हैं.
हम बहुत अच्छा काम कर रहे हैं इससे राष्ट्र का स्वाभिमान और गौरव बढ़ रहा है. हमने जो 40 गांवों के नाम का प्रस्ताव रखा है वो गांव मुगलकालीन इतिहास से गुलामी की मानसिकता से जुड़े हुए हैं. हम उन नामों को नहीं चाहते हैं. ये नाम गांव के लोग भी नहीं चाहते हैं क्योंकि उससे गुलामी की मानसिकता झलकती है.
आज उन गांवों के नाम बेर सराय, जिया सराय, युसूफ सराय, जफ्फरपुर कलां, नजफगढ़, हौज खास, सुल्तानपुर, रसूलपुर हैं. इस तरह के नाम बदलने की प्रक्रिया दिल्ली सरकार के पास है. आज आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर हमारे पास अच्छा मौका है जब देश अभिमान के साथ आगे बढ़े तो इन जगहों के नाम बदल दिए जाएं.
सवाल: इन गांवों का नाम बदल कर किसके नाम पर रखना चाहते है?
आदेश गुप्ता: 40 गांव के नामों पर पंचायत में जो भी फैसला लिया गया है और बीजेपी ने जो भी प्रस्ताव दिया है वो वीर शहीदों के नाम पर रखा जाए. हम चाहते हैं कि इन 40 गावों के नाम को ऐसे समाजसेवियों के नाम पर रखा जाए जो इस देश के नामों को ऊपर लेकर गये हैं.
ऐसे खेल में योगदान देने वाले और जिन्होंने महान कार्य किया है. उनके नाम पर रखा जाए उसमें दिल्ली पुलिस और सेना के नायकों के नाम भी शामिल है जिससे वह प्रेरणा भी मिले. कैप्टन विक्रम बत्रा, मोहन चंद शर्मा जो बाटला हाउस एनकाउंटर में शहीद हुए थे. लता मंगेशकर, अटल बिहारी बाजपेई, मिल्खा सिंह, यशपाल शर्मा जिन्होंने क्रिकेट में वर्ल्ड कप जीता या अशफाक उल्ला खान, अंकित शर्मा, लक्ष्मी बाई ऐसे जो लोग हैं उनके नाम पर गांव का नाम रखा जाए.
सवाल: मोहन चंद शर्मा और रतनलाल दिल्ली पुलिस में थे, अंकित शर्मा जिनकी दंगों में मौत हुई इनके नाम पर गांव के नाम रखने की क्या जरूरत है आपको?
आदेश गुप्ता: दिल्ली को बचाने के लिए दिल्ली पुलिसकर्मियों ने जो वीरता का काम किया है, पुलिस के जवानों को उनकी वीरता का पुरस्कार तो मिलना ही चाहिए. ताकि आने वाली पीढ़ी को पुलिस और सेना के जवानों से प्रेरणा ले सकें.
सवाल: अगर नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली तो आप क्या करेंगे ?
आदेश गुप्ता: देश लोकतंत्र से चलता है. इन जगहों के नाम बदलना गांव वासियों की भावना है. दिल्ली के मुख्यमंत्री को गांव वासियों की भावनाओं को मानना चाहिए. दिल्ली के सीएम कह रहे थे कि जब हम आएंगे तो मोहल्ला सभा के जरिए सरकार चलाएंगे. तो उनके लिए भी अब एक सवाल आ गया है कि उन्होंने जो कहा था वह उसे करेंगे या नहीं.
सवाल: नामों पर बुलडोजर चलाने से विकास हो जाएगा? पिछले 15 साल में एमसीडी को जो काम करना था क्या वह काम हो जाएंगे?
आदेश गुप्ता: देखिए नाम बदलने से बहुत बड़ा फर्क पड़ता है. नाम बदलने के साथ-साथ बहुत परिवर्तन किया जा रहा है, विकास भी हो रहा है इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वाभिमान भी जाग रहा है.
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