कभी भी पश्चिम बंगाल और ओडिशा नहीं जीतेगी बीजेपी: ममता बनर्जी
ममता ने कहा कि त्रिपुरा में चुनाव परिणाम का कारण सीपीआई का ‘‘आत्मसमर्पण’’ और गठबंधन के लिए कांग्रेस का सहमत नहीं होना है. उन्होंने बीजेपी को ‘‘ ऐसा तिलचट्टा बताया जो पंख लगाकर मोर बनने का सपना देख रहा है.’’
नई दिल्ली: त्रिपुरा में बीजेपी की जीत को तवज्जो नहीं देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भगवा पार्टी कभी भी पश्चिम बंगाल और ओडिशा में नहीं जीतेगी. उन्होंने बीजेपी को ‘‘ ऐसा तिलचट्टा बताया जो पंख लगाकर मोर बनने का सपना देख रहा है.’’
बीजेपी को नहीं होगा फायदा: सीएम ममता
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि त्रिपुरा में चुनाव परिणाम का कारण सीपीआई का ‘‘आत्मसमर्पण’’ और गठबंधन के लिए कांग्रेस का सहमत नहीं होना है. उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी तृणमूल कांग्रेस और स्थानीय पहाड़ी दलों के साथ गठबंधन के लिए राजी हो जाते तो परिणाम अलग हो सकते थे. उन्होंने दावा किया कि चुनाव परिणाम से बीजेपी को कई राज्यों में होने वाले चुनावों में फायदा नहीं मिलेगा.
त्रिपुरा में वामपंथ के 25 साल के शासन का अंत होने और बीजेपी की जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता ने कहा, ‘‘ऐसे राज्य में जीत पर खुश होने की बात नहीं है जहां महज 26 लाख मतदाता हैं और दो संसदीय सीट हैं. साथ ही वोट का अंतर केवल पांच फीसदी है.’’
सीपीआई ने अच्छा प्रदर्शन किया: ममता
सीएम ममता ने कहा, ‘‘चुनावों में सीपीआई ने अच्छा प्रदर्शन किया है. यह केवल पांच फीसदी मतों का अंतर है. लेकिन त्रिपुरा में सीपीआई ने भगवा दल के विरोध में गंभीरता नहीं दिखाई.’’ उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में बीजेपी की जीत के बावजूद ‘‘पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जीत आसान नहीं होगी. बीजेपी को कर्नाटक, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हार का सामना करना पड़ेगा. गुजरात में उनके लिए नैतिक हार थी.’’'2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए विनाशकारी साबित होगा'
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए विनाशकारी साबित होगा और पार्टी सत्ता बरकरार नहीं रख पाएगी. पश्चिम बंगाल और ओडिशा को बीजेपी की ओर से लक्ष्य बनाने पर ममता ने कहा, ‘‘कभी-कभी तिलचट्टा भी पंख लगाकर मोर बनना चाहता है.’’पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं होगा और यह सपना ही रह जाएगा.’’ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि बीजेपी को 50 फीसदी मत मिले जबकि सीपीआई को 45 फीसदी. यह केवल पांच फीसदी का अंतर रहा. उन्होंने कहा, ‘‘अगर राहुल गांधी ने कांग्रेस, तृणमूल और स्थानीय पहाड़ी दलों के बीच गठबंधन के मेरे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया होता तो त्रिपुरा में स्थिति अलग होती.’’