नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो चुकी है और सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा जल्द करने वाली है. आम आदमी पार्टी की तरफ से जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री केजरीवाल मुख्यमंत्री का चेहरा हैं जबकि बीजेपी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं होगा. बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा और काम को आगे रखकर विधानसभा चुनाव लड़ेगी.
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली केंद्र शासित राज्य है ऐसी सूरत में मोदी सरकार के विकास के कामकाज के आधार पर ही केजरीवाल सरकार को चुनौती देगी. दिल्ली बीजेपी के सभी चेहरे एक साथ मिलकर केजरीवाल सरकार की पोल खोलेंगे. विकास और राष्ट्रवाद चुनाव के दो अहम मुद्दे होंगे. मुख्यमंत्री के नाम का एलान ना होना प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के लिए झटका माना जा रहा है. हालांकि सांसद प्रवेश वर्मा भी मुख्यमंत्री पद के कड़े दावेदार माने जा रहे थे और वे बाकायदा इसके लिए लॉबिंग भी कर रहे थे. लेकिन पार्टी के आलाकमान ने तय किया है कि दिल्ली में बीजेपी बिना मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किए चुनाव मैदान में उतरेगी.
बीजेपी की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची 14 जनवरी यानि कि मकर संक्रांति से पहले आने की उम्मीद है. आने वाले रविवार को बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक हो सकती है. इसी बैठक में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होगी और उम्मीदवारों की पहली सूची आने की उम्मीद है. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीते हुए पार्षदों को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने फैसला किया था कि वह पार्षदों और हारे हुए प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में नहीं उतारेगी लेकिन इस बार पार्टी जिताऊ उम्मीदवारों को ही मैदान में परखने के मूड में है.
आपको बता दें 6 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव का ऐलान किया था. 8 फरवरी को दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा जबकि परिणाम 11 फरवरी को आएंगे. तकरीबन डेढ़ करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी को खत्म हो रहा है.
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