नई दिल्ली: कर्नाटक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी की निगाहें कल होने वाले बहुमत परीक्षण पर टिकी हैं. कांग्रेस-जेडीएस और बीजेपी ने अपने अपने विधायकों की घेराबंदी शुरू कर दी है. दोनों ही पार्टियां बहुमत के लिए जरूरी संख्याबल का दावा कर रही हैं. मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके बीएस येदुरप्पा की कुर्सी बची रही रहेगी या चली जाएगी इसका फैसला अब विधानसभा के भीतर ही होगा.
इस सबके बीच लोगों के जेहन में प्रधानमंत्री मोदी का वो बयान भी है जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस PPP (पंजाब, पुद्दुचेरी और परिवार) पार्टी बन कर रह जाएगी. कल अगर येदुरप्पा मैजिक नंबर सदन के पटल पर रख देते हैं तो देश के नक्शे को देखकर कांग्रेस पार्टी की नींद उड़ जाएगी.
देश की 64 फीसदी आबादी पर पहले से ही काबिज एनडीए का देश की 69 फीसदी आबादी पर शासन हो जाएगा. कांग्रेस पार्टी की सरकार पंजाब, पुडुचेरी और मिजोरम में देश की सिर्फ 2.5 फीसदी आबादी पर रह जाएगी. देश के इतिहास में कांग्रेस कभी इतनी कमजोर नहीं थी.
कर्नाटक के चुनावी नतीजों का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट यह है कि कांग्रेस से ज्यादा तो क्षेत्रीय पार्टियों को कद देश में बढ़ गया है. अगर देश की नक्शे पर नजर डालें तो कांग्रेस से ज्यादा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का देश की 7.5% आबादी पर कब्जा है. जबकि तमिलनाडु में AIADMK का कब्जा 6% आबादी पर है.
आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की TDP का देश की 4% आबादी पर कब्जा है. यानि 2019 के चुनावों से पहले कांग्रेस के सामने क्षेत्रीय पार्टियां बढी चुनौती पेश कर सकती हैं. कांग्रेस का 2.5 फीसदी आबादी पर सिमटना मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को साकार करता नजर आ रहा हैं. इसका मतलब 2019 के चुनावों में मोदी मैजिक ही सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा. जिसकी लहर पर सवार होकर बीजेपी जीत की राह बनाने की कोशिश करेगी.