BJP MLC Card: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर को हाल ही में उत्तर प्रदेश विधान परिषद (UP Legislative Council) के सदस्य के तौर पर मनोनित किया गया है. तारिक मंसूर के साथ अब यूपी विधान परिषद में बीजेपी के चार मुस्लिम सदस्य हो जाएंगे. बीजेपी का ये आंकड़ा यूपी के विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सर्वोच्च आंकड़े से भी ज्यादा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, तारिक मंसूर को एमएलसी बनाने का फैसला दिखाता है कि हिंदुत्व के एजेंडे के बावजूद बीजेपी मुस्लिम समुदाय के साथ जुड़ने की कोशिशों में कोई कमी नहीं ला रही है. सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में सबका विकास को मद्देनजर रखते हुए बीजेपी को भरोसा है कि वो सांप्रदायिक मुद्दे को कमजोर कर लेगी. दरअसल, बीजेपी ने अपना पूरा ध्यान मुस्लिम समुदाय में 80 फीसदी आबादी यानी पसमांदा मुसलमानों पर केंद्रित कर रखा है.
पसमांदा मुस्लिमों पर क्यों ध्यान लगा रहा है बीजेपी?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय में अधिकांश आबादी पसमांदा मुसलमानों की ही है. यही कारण है कि बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव में बिना किसी मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारे, अपने कोटे से चार मुस्लिम एमएलसी बनाए हैं इनमें से दो बुक्कल नवाब और मोहसिन रजा शिया समुदाय से आने वाले मुस्लिम हैं. वहीं, दानिश आजाद अंसारी के बाद अब तारिक मंसूर भी पसमांदा मुस्लिम समुदाय से आने वाले नेता हैं. यूपी में कुल 6 मुस्लिम एमएलसी हैं, जिनमें से दो समाजवादी पार्टी के हैं. वहीं, 31 मुस्लिम विधायक हैं. ये संख्या आजम खान और उनके अब्दुल्ला आजम खान के अयोग्य घोषित होने से पहले 33 थी.
देश की सेवा में मुस्लिमों का चाहती है बीजेपी
एक बीजेपी नेता ने कहा कि एएमयू जैसे बड़े संस्थान से आने वाले मुस्लिम शख्स को एमएलसी बनाए जाने के जरिये बीजेपी मुसलमानों को अपने साथ लाने की कोशिश करेगी. उन्होंने कहा कि इन फैसलों के जरिये पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी जमीन तैयार कर रही है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में होने वाले नगर निकाय चुनावों में भी बीजेपी कुछ मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दे सकती है.
बीजेपी नेता ने कहा कि पार्टी की ओर अब तक विधानसभा चुनावों में उतारे गए मुस्लिम प्रत्याशियों को हार ही मिली है. इसी के चलते पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशियों को विधान परिषद में भेजने का फैसला लिया है. उन्होंने आगे कहा कि राम जन्मभूमि को लेकर चलाए गए आंदोलन के बाद मुस्लिम प्रत्याशियों की हार मुसलमान समुदाय से पार्टी का भरोसा टूटने की ओर इशारा करता है. इसी ही फिर से बनाने के लिए एमएलसी बनाने की प्रक्रिया अपनाई गई है. देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 में एमएलसी कार्ड का कितना फायदा मिलता है?
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