नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. बीजेपी ने नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के गठजोड़ को आतंकवाद और पाकिस्तान से जोड़ दिया है. आज बीजेपी के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर में पार्टी के प्रभारी राम माधव ने कहा कि पिछले महीने पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने सीमापार से आए आदेश के अनुसार स्थानीय चुनावों का बहिष्कार किया था. यह संभव है कि अब जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए सीमा पार से निर्देश मिला हो. हम किसी भी गलत कोशिशों को कामयाब नहीं होने देंगे.


जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने पलटवार किया है. उन्होंने राम माधव को सीधे चुनौती देते हुए कहा, ''आप आरोपों को साबित करें. RAW, NIA और IB आपके कमांड (सीबीआई भी आपका तोता है) में है. इसलिए अगर हिम्मत है तो आप सबूत आम आदमी के सामने रखें. अगर यह आरोप साबित नहीं कर सकते हैं तो माफी मांगें.''





कल बीजेपी ने राज्यपाल के फैसलों को सही ठहराते हुए कहा था, “आतंकवाद से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर को एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली सरकार चाहिए, आंतक प्रेमी पार्टियों का गठबंधन नहीं.''


ध्यान रहे कि बीजेपी और पीडीपी दोनों जम्मू-कश्मीर में गठबंधन कर सरकार चला चुकी है. बीजेपी के समर्थन से महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थी. बीजेपी ने जून में पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था. 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें.


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लेकिन कल राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सूबे की विधानसभा को भंग कर दिया. इससे ठीक पहले महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को पत्र भेजकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था. वहीं, बीजेपी भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी.


मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा था कि उनकी पार्टी (पीडीपी) के 29 विधायकों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर उनकी संख्या 56 हो जाती है. जम्मू-कश्मीर में 87 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत होती है. वहीं लोन ने 18 विधायकों के साथ बीजेपी के 25 विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया और कहा कि यह बहुमत से अधिक है. विधानसभा भंग किए जाने के फैसले की विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रही है.


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वहीं राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि मैंने किसी का पक्षपात नहीं किया. मैं चाहता हूं कि चुनी हुई सरकार सत्ता में आए. हॉर्स ट्रेडिंग की शिकायत मिल रही थी. अपवित्र गठबंधन बनाया जा रहा था.