गौरी लंकेश मर्डर: नोटिस मिलने पर गुहा का दर्द- 'अब नहीं रहा अटल जी वाला भारत'
‘’अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि किसी किताब या लेख में कही गई बातों का जवाब लेख या किताब के जरिये ही दिया जा सकता है. लेकिन हम अब वाजपेयी के भारत में नहीं रह रहे हैं.’’
नई दिल्ली: बीजेपी के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को कानूनी नोटिस भेजा है. ये नोटिस कन्नड़ लेखिका गौरी लंकेश की हत्या में संघ परिवार से जुड़े किसी शख्स के शामिल होने का शक जाहिर करने पर भेजा गया है. नोटिस में माफी नहीं मांगने पर गुहा के खिलाफ सिविल और आपराधिक केस दर्ज कराने की धमकी भी दी गई है.
नोटिस में गुहा से कहा गया है, ‘’अगर उन्होंने अपने बयान पर तीन दिनों के भीतर बिना शर्त माफी नहीं मांगी, तो संगठन उनके खिलाफ सिविल और आपराधिक मुकदमा दायर करेगा.’’ रामचंद्र गुहा को ये नोटिस बीजेपी के युवा संगठन की कर्नाटक इकाई की तरफ से भेजा गया है.
भारतीय जनता युवा मोर्चा ने ये नोटिस गुहा के उस बयान को लेकर दिया है, जो उन्होंने वायर को दिया था. गुहा ने कहा था, ‘’दाभोलकर, पनसारे और कलबुर्गी की तरह ही गौरी लंकेश के हत्यारे भी संघ परिवार से जुड़े हो सकते हैं.’’
रामचंद्र गुहा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के नोटिस का जवाब ट्विटर पर दिया है. उन्होंने लिखा है, ‘’आज भारत में स्वतंत्र लेखकों और पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्हें सताया जा रहा है. यहां तक कि उनकी हत्या की जा रही है. लेकिन हम खामोश नहीं होंगे.’’
उन्होंने आगे लिखा, ‘’अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि किसी किताब या लेख में कही गई बातों का जवाब लेख या किताब के जरिये ही दिया जा सकता है. लेकिन हम अब वाजपेयी के भारत में नहीं रह रहे हैं.’’In India today, independent writers and journalists are harassed, persecuted, and even killed. But we shall not be silenced.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) September 11, 2017
Atal Bihari Vajpayee said the answer to a book or article can only be another book or article. But we no longer live in Vajpayee's India — Ramachandra Guha (@Ram_Guha) September 11, 2017
बता दें कि पांच सितंबर को बेंगलूरु में कुछ अज्ञात हमलावरों ने गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी थी. फायरिंग के दौरान उनके सिर, गर्दन और सीने पर गोलियां लगीं थी. 55 साल की गौरी लंकेश कन्नड़ भाषा की मशहूर पत्रकार और गौरी लंकेश पत्रिके नाम की लोकप्रिय साप्ताहिक पत्रिका की संपादक थीं.