नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति के लिए 9 अगस्त को वोटिंग होगी. आज दोपहर 12 बजे तक नामांकन दाखिल करना है. कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद विपक्ष के साझा उम्मीदवार होंगे. बीके हरिप्रसाद 9 बजकर 45 मिनट पर नामांकन दाखिल करेंगे. बता दें कि आज दोपहर 12 बजे तक ही नामांकन करना है. विपक्ष ने उम्मीदवार चुनने का अधिकार कांग्रेस को दिया था. वहीं सूत्रों के मुताबिक शिवसेना ने एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश को समर्थन देने का मन बना लिया है. वहीं इस चुनाव में सबसे अहम कड़ी नवीन पटनायक की बीजेडी ने एनडीए उम्मीदवार के समर्थन देने की खबर है. बीजेडी के पास राज्यसभा में नौ सांसद हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक से हरिवंश का समर्थन करने की अपील की थी.
एनसीपी का चुनाव लड़ने से इनकार
विपक्ष की तरफ से शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) ने भी लड़ने से इनकार कर दिया है. पहले खबर थी कि विपक्ष एनसीपी की सांसद वंदना चव्हाण को उम्मीदवार बना सकता है. विपक्ष के उम्मीदवार के लिए मंगलवार शाम विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक भी हुई.
एनडीए-यूपीए दोनों के लिए चुनौती
इस चुनाव में एनडीए और यूपीए के पास नंबर जुटा पाना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि दोनों ही पक्षों के पास जीत के लिए जरुरी आंकड़े नहीं है. ऐसे में राज्यसभा में 9 सीटों वाला बीजू दल जीत हार के खेल में किंगमेकर की भूमिका निभा सकता है. बता दें कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुये उपसभापति पी जे कुरियन का कार्यकाल पिछले महीने यानी जुलाई में खत्म हो गया था.
क्या है बहुमत का जादुई आंकड़ा?
राज्यसभा में वर्तमान में 244 सांसद ही वोट करने की स्थिति में हैं. ऐसे में किसी भी दल को जीतने के लिए 123 सीटें मिलनी जरूरी हो जाती हैं. वर्तमान में राज्यसभा में एनडीए के पास 115 सीटें हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बीजेपी के पास 73 सीटें हैं. वहीं यूपीए के पास 113 सीटें हैं. जिनमें कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 50 सीटें हैं. वहीं अन्य दलों के पास राज्यसभा में 16 सीटें हासिल हैं. इनमें सबसे ज्यादा नौ सीटें बीजेडी के पास हैं.
यूपीए को चाहिए दो दलों का समर्थन
इस स्थिति में अगर बीजेडी के 9 सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में अपना वोट डाला तो एनडीए के पास (115+9) 124 सीटें हो जाएंगी जो बहुमत से एक सीट ज्यादा होगी. वहीं अगर बीजेडी यूपीए को अपना समर्थन देती है तो यूपीए के पास (113+9) 122 सीटें हो जाएंगी. ऐसी स्थिति में यूपीए को बहुमत के लिए एक सीट की और जरूरत होगी. ऐसे में बीजेडी के समर्थन के अलावा यूपीए को किसी और दल से भी समर्थन की दरकार होगी.