नए कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास हजारों की तादाद में आकर प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं कि सरकार इन्हें वापस ले. शुक्रवार को केन्द्र सरकार के साथ नौवें दौर की बातचीत से पहले किसानों ने कुंडली-पलवल-मानेसर (KMP) एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर रैली निकालकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. किसान नेताओं ने धमकी दी है कि आने वाले दिनों मे आंदोलन को और तेज किया जाएगा और 26 जनवरी को किसान राजपथ पर परेड में भी हिस्सा लेंगे.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा- "हम 26 जनवरी को परेड में हिस्सा लेंगे. एक तरफ टैंक होगा तो दूसरी तरफ ट्रैक्टर." ट्रैक्टर रैली के बारे में उन्होंने आगे कहा- आज की रैली अच्छी रही. भारी संख्या में लोग 26 जनवरी को होने वाली परेड में हिस्सा लेने के लिए आएंगे.
उधर, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बात करने के बाद पंजाब बीजेपी नेता सुरजीत कुमार ज्ञानी ने कहा- सरकार सुनने को तैयार है, लेकिन किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. पंजाब में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. हमारे कार्यकर्ताओं के घर के बाहर धरना प्रदर्शन दिया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा- सरकार किसानों की मांगों को पूरा करने को तैयार है. लेकिन, किसान अब कानूनों की वापसी की मांग कर रही है. वे क्या कहना चाहते हैं? मैं सोचता हूं कि किसान संगठन समाधान नहीं चाहते हैं. मैं ऐसा मानता हूं कि उनकी योजना कुछ और है.
गौरतलब है कि गुरुवार को दिल्ली और इसके आसपास नए कृषि कानूनों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का 43वां दिन है. किसानों तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाने की मांग कर रहे हैं. किसानों को डर है कि इन नए कानूनों के जरिए सरकार एमएसपी को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के भरोसे छोड़ देगी. जबकि, दूसरी तरफ सरकार का यह तर्क है इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसर पैदा होंगे और किसानों की आय बढ़ेगी.
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