कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते मामलों में कमी ने भले बिहार को राहत दी हो, लेकिन अब ब्लैक फंगस के मामलों में उसकी चिंता बढ़ा दी है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि म्यूकर माइकोसिस के तौर पर जाना जानेवाला ब्लैक फंगस एक नई चुनौती बनकर उभरा है. आपको बता दें कि नीतीश सरकार ने पिछले महीने महामारी के तौर पर ब्लैक फंगस को घोषित किया था.


बिहार में ब्लैक फंगस के मामलों ने बढ़ाई सरकार की चिंता


स्वास्थ्य विभाग ने आंकड़े जारी कर बताया कि राज्य भर में कल तक 562 ब्लैक फंगस के मामले दर्ज किए गए. आम तौर पर कोविड-19 से उबर चुके मरीजों में पाई जानेवाली बीमारी के कारण 76 लोगों की जान चली गई जबकि मात्र 153 का अब तक पूरी तरह इलाज हुआ है. राज्य में ब्लैक फंगस के अधिकतर मरीजों का इलाज दो अस्पतालों में किया जा रहा है. इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइेंस, पटना और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंस, पटना में इलाज की सुविधा है. एम्स पटना में वर्तमान में ब्लैक फंगस के 102 मरीजों का इलाज किया जा रहा है जबकि आईजीआईएमस में 114 मरीज इलाज पा रहे हैं.


क्रिकेट की गेंद के आकार का ब्लैक फंगस हटाया गया


कुल मिलाकर एम्स में बीमारी के 148 मरीज भर्ती हैं और आईजीआईएमएस में अब तक 187 मरीजों को दाखिल किया गया है. शुक्रवार को न्यूरो सर्जन की टीम ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर एक 60 वर्षीय मरीज के दिमाग से ब्लैक फंगस को हटाया. ये औसतन क्रिकेट की गेंद के मुकाबले आकार में ज्यादा बड़ा था. अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया, "अनिल कुमार नामक मरीज जमुई का रहनेवाला है. डॉक्टर ब्रजेश कुमार की अगुवाई में सर्जरी करीब तीन घंटे तक चली और करीब 100 मिलीलीटर मवाद दिमाग से निकाला गया." उन्होंने कहा कि आंखों को नुकसान पहुंचाए बिना ऑपरेशन करना बड़ी चुनौती थी. हमें संतुष्टि है कि ऑपरेशन के बाद मरीज सामान्य तरीके से देख सकता है. 


दिल्ली: मानसून के लिए करना पड़ सकता थोड़ा और इंतजार, IMD ने साझा की जानकारी


पूर्वी दिल्ली नगर निगम के 9 कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत: महापौर