भारत में अभी कोरोना वायरस का अंत भी नहीं हुआ  था कि अब ब्लैक फंगस ने लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्य पहले ही इसे महामारी बीमारी घोषित कर चुके हैं. वहीं एम्स के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन ने बताया कि कोविड के इलाज के छह हफ्ते के भीतर मरीजों को ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा होता है.


एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ पी शरत चंद्र ने बताया कि फंगल संक्रमण नया नहीं है, लेकिन ये महामारी के अनुपात में कभी नहीं हुआ है, साथ ही कहा कि हमें सटीक कारण नहीं पता है कि ये महामारी के अनुपात तक क्यों पहुंच रहा है लेकिन इसके कई कारण हो सकते हैं. इसके सबसे महत्वपूर्ण कारण हैं अनियंत्रित मधुमेह रोगी, टोसिलिजुमैब के साथ स्टेरॉयड का व्यवस्थित उपयोग और वेंटिलेशन पर रोगी को रखना आदि हैं. कोविड के इलाज के छह सप्ताह के भीतर यदि लोगों में इनमें से कोई भी कारक है तो वो ब्लैक फंगस से संक्रमित है.


ठंडी ऑक्सीजन है खतरनाक


सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना बहुत खतरनाक है. 2 से 3 सप्ताह के लिए एक ही मास्क का इस्तेमाल करने से ब्लैक फंगस हो सकता है. इसकी घटनाओं को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को एंटी फंगल दवा पॉज कानाजोल दी जा सकती है. डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में फंगल संक्रमण में इजाफा देखने को मिला है, और ज्यादातर ये ठीक हो चुके कोविड मरीजों में देखा गया है.


कई राज्यों में फैल रहा ब्लैक फंगस


देश के कई हिस्सों से ब्लैक फंगस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही इसे महामारी रोग अधिनियम के तहत एक सूचित बीमारी घोषित कर दिया है, जिससे राज्य सरकार को हर म्यूकोर्मिकोसिस मामले की रिपोर्ट करना अनिवार्य हो गया है.


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