![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
रूसी और पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर से महज कुछ सेकेंड में बुक हो जाते थे 144 कंफर्म टिकट, रेलवे पुलिस ने गैंग का किया पर्दाफाश
Fake Ticker: आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर, फर्जी यूजर आईडी, सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप और पाकिस्तान और रूस के अवैध सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल कर यह गैंग टिकट बेचता था.
![रूसी और पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर से महज कुछ सेकेंड में बुक हो जाते थे 144 कंफर्म टिकट, रेलवे पुलिस ने गैंग का किया पर्दाफाश Black Marketing Gang of Indian Railway Arrested and They Used Pakistan Russia Software and Fake IRCTC ID ANN रूसी और पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर से महज कुछ सेकेंड में बुक हो जाते थे 144 कंफर्म टिकट, रेलवे पुलिस ने गैंग का किया पर्दाफाश](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/09/07/96113c7d98c792fa36aadedc608e00e11662550262461528_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
IRCTC Train Ticket: भारतीय रेलवे (Indian Railway) के रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया जो कि पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए एक बार में 144 टिकट बुक कर देता था. इस गिरोह ने ऐसा करके अब तक 28 करोड़ रुपये कमा लिए हैं. रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित 6 लोगों को गिरफ्तार कर इनके पास से 43 लाख रुपये के टिकट भी बरामद किए.
किन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया?
गिरोह रेलवे टिकट कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके और ब्लैक टाइगर जैसे नाम के सॉफ्टवेयर से टिकट बुक करती थी. बता दें कि इन सॉफ्टवेयर का कोरोना से कोई संबंध नहीं है, यह नाम सिर्फ दूसरों को गुमराह करने के लिए है. गैंग सॉफ्टवेयर डार्क नेट से खरीदते थे, जो कि पाकिस्तान और रूस से खरीदा जाता है.
इनमें टिकट बुक करने के लिए किसी प्रक्रिया की जरूरत नहीं होती. आपको रेलवे टिकट बुक करते समय सिर्फ 6 लोगों के नाम भरकर पैसे देने होते थे. इन सॉफ्टवेयर से एक ही बार में 144 टिकट बुक हो सकती हैं. आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर, फर्जी यूजर आईडी प्रदान करने के साथ-साथ सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप का उपयोग करके और अवैध सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल कर यह गैंग टिकट बेचता था. इन आरोपियों के पास नकली आईपी पते बनाने वाले सॉफ्टवेयर थे, जिनका इस्तेमाल ग्राहकों पर प्रति आईपी पते की सीमित संख्या में टिकट प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दूर करने के लिए किया जाता था.
टिकट बेचने वाले इस गैंग ने डिस्पोजेबल मोबाइल नंबर और डिस्पोजेबल ईमेल भी बेचे हैं, जिनका उपयोग आईआरसीटीसी की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए ओटीपी सत्यापन के लिए किया जाता है.
गैंग को कैसे पकड़ा गया
पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ सुमित ठाकुन ने बताया कि कई महीनों की जांच करने के बाद गैंग के 6 लोगों को गिरफ्तार किया. ह्यूमन इंटेलिजेंस के डिजिटल इनपुट के आधार पर आरपीएफ की टीम ने सबसे पहले राजकोट के ट्रैवल एजेंट मन्ना वाघेला को पकड़ा जो कि रेलवे टिकटों के लिए सॉफ्टवेयर कोविड-19 का इस्तेमाल कर रहा था. इसके अलावा कन्हैया गिरी को वाघेला की दी गई जानकारी के आधार पर मुंबई से गिरफ्तार किया गया. पुछताछ के दौरान गिरी ने उसके साथी अभिषेक शर्मा के बारे में बताया जो कि अवैध सॉफ्टवेयर होने की एडमिन होने की बात कबूल की. इन तीनों से की गई पूछताछ के आधार पर मुंबई से अमन कुमार शर्मा, गुजरात के वलसाड से वीरेंद्र गुप्ता और यूपी के सुल्तानपुर से अभिषेक तिवारी को गिरफ्तार किया. आरपीएफ इस मामले भी दूसरे संदिग्धों की भी तलाश कर रही है.
यह भी पढे़ं-
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. अमित सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/8c07163e9831617114971f5a698471b5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)