काला हिरण शिकार केस में जोधपुर जिला एवं सत्र अदालत से बॉलीवुड एक्टर सलमान खान को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है. सलमान खान के खिलाफ झूठे साक्ष्य पेश करने को लेकर राज्य सरकार के 340 के प्रार्थना पत्र को अदालत ने खारिज कर दिया. इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से सलमान खान के खिलाफ दायर याचिका को निचली अदालत ने भी खारिज कर दिया था.


सलमान खान के वकील हस्तिमल सारस्वत ने कहा- “जोधपुर जिला एवं सत्र अदाल ने एक डिटेल्ड ऑर्डर में राज्य सरकार की तरफ से दायर दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया. हमने साल 2006 में यह जवाब दिया था कि गलत हलफनामा दायर नहीं किया गया था और ऐसी याचिकाएं सलमान खान की छवि बिगाड़ने के लिए लगाई जा रही हैं.”





गौरतलब है कि डिस्ट्रिक्टर एंड सेशंस कोर्ट 2003 में कोर्ट में अपने सशस्त्र लाइसेंस से संबंधित एक झूठा हलफनामा कथित तौर पर प्रस्तुत करने के लिए अभिनेता सलमान खान के खिलाफ एक याचिका पर यह आदेश सुनाया है. आवेदनों पर बहस मंगलवार को पूरी हो गई थी और जस्टिस राघवेंद्र कच्छवाला ने 11 फरवरी के लिए आदेश को सुरक्षित रख लिया था.


निचली अदालत ने जून 2019 में खान को एक गलत हलफनामा दायर करने के आरोप में दोषमुक्त कर दिया था. लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट में एक अपील दाखिल की थी. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि उन्होंने एक गलत हलफनामा प्रस्तुत किया था क्योंकि उनका लाइसेंस खोया नहीं था बल्कि नवीकरण के लिए प्रस्तुत किया गया था.


सलमान खान के वकील एचएम सारस्वत ने कहा था, ‘‘हमने दलील की कि यह हलफनामा जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किया गया था क्योंकि खान एक व्यस्त अभिनेता हैं और उस समय उनके लाइसेंस के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं थी.’’


क्या है काला हिरण शिकार केस?


2018 में एक निचली अदालत ने अक्टूबर 1998 में फिल्म 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग के दौरान दो काले हिरणों की हत्या के लिए सलमान को दोषी ठहराया था और उन्हें पांच साल कैद की सजा सुनाई थी. अभिनेता ने निचली अदालत के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी. उनके साथ कांकाणी में मौके पर मौजूद सलमान के साथी एक्टर सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे को बरी कर दिया गया है.


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